Advertisement
बिहार प्रेमी अमेरिकी इतिहासकार वाल्टर हाउजर नहीं रहे
डॉ सत्यजीत सिंह वाल्टर हाउजर ने लगभग छह दशकों तक बिहार के विभिन्न पहलुओं पर लिखा और अध्ययन किया था प्रसिद्ध अमेरिकी इतिहासकार वाल्टर हाउजर, जिन्होंने बिहार को केंद्र में रखकर काफी शोध की थी. उनका निधन अपने निवास स्थान वर्जीनिया (अमेरिका) में हो गया. उनके निधन से बिहार ने विदेश में रहने वाला अपना […]
डॉ सत्यजीत सिंह
वाल्टर हाउजर ने लगभग छह दशकों तक बिहार के विभिन्न पहलुओं पर लिखा और अध्ययन किया था
प्रसिद्ध अमेरिकी इतिहासकार वाल्टर हाउजर, जिन्होंने बिहार को केंद्र में रखकर काफी शोध की थी. उनका निधन अपने निवास स्थान वर्जीनिया (अमेरिका) में हो गया. उनके निधन से बिहार ने विदेश में रहने वाला अपना एक प्रशंसक खो दिया. वाल्टर हाउजर लगभग 92 वर्ष के थे.
ज्ञातव्य हो कि वाल्टर हाउजर ने लगभग छह दशकों तक बिहार के विभिन्न पहलुओं पर लिखा और अध्ययन किया था. प्रख्यात किसान नेता स्वामी सहजानांद सरस्वती को उनके कार्यों के परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली. स्वामी सहजानंद सरस्वती पर वाल्टर हाउजर ने 1957 से ही शोध करना शुरू किया था.
अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय से उन्होंने बिहार प्रांतीय किसान सभा पर अपनी पीएचडी 1961 में की थी. वो पीएचडी स्वामी सहजानांद व किसान आंदोलन पर काम करने वालों के लिए संदर्भ बिंदू ( रेफरेंस प्वाइंट) बन गये थे. 60 वर्ष पूर्व छपी इस थीसिस का पुस्तक का प्रकाशन इसी वर्ष संभव हो पाया.
पुस्तक का लोकार्पण बड़े धूमधाम से पटना में किया गया था, जिसमें वाल्टर हाउजर की पुत्री शीला हाउजर ने भी हस्सिा लिया था. वाल्टर हाउजर 1962 में वर्जीनिया विवि में बतौर अध्यापक नियुक्त हुए. स्वामी सहजानंद सरस्वती व किसान आंदोलन पर उनकी अन्य कृतियों में प्रमुख है. सहजानंद ऑन एग्रीकल्चर लेबरर एंड द रूरल पुअर सहजानांद एंड द पीजेंट्स ऑफ झारखंड : अ व्यू फ्रॉम 1941 कल्चर, वर्नाकुलर पॉलिटक्सि एंड द पीजेंट्स, इंडिया 1989-1950 है.
हाउजर ने कई आलेख भी लिखे थे
आत्मकथात्मक संस्मरणों की पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद माई लाइफ स्ट्रगल के नाम से उन्होंने किया था. इन पुस्तकों के अतिरिक्त वाल्टर हाउजर ने कई आलेख भी लिखे हैं.
50 व 60 के दशक के महत्वपूर्ण शख्सियतों जैसे भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह, जयप्रकाश नारायण, बिहार के मुख्यमंत्री कृष्णबल्लभ सहाय, बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, चर्चित किसान नेता यदुनंदन शर्मा का साक्षात्कार भी उन्होंने िलया था. वाल्टर हाउजर ने बिहार की चुनावी राजनीति पर भी काम किया था. स्वामी सहजानंद के प्रभाव को अस्सी और नब्बे के दशक के चुनावों पर आकलन करने का प्रयास किया था.
मधुबनी पेंटिंग को किया था प्रोत्साहित
मधुबनी पेंटिंग के शुरुआती दिनों में रांटी (मधुबनी) जाकर खरीदना और कलाकारों को आर्थिक मदद पहुंचाना उनके मानवीय स्वाभाव को दर्शाता है.
पिछले दिनोंमुधबनी पेंटिंग की मशहूर हस्ताक्षर स्वर्गीय पदमश्री महासुंदरी देवी कृत एक लंबी पेंटिंग उन्होंने वर्जीनिया विवि को दान स्वरूप भेंट किया. पिछले वर्ष सीताराम आश्रम, बिहटा की दस्तावेजी महत्व की दुर्लभ सामग्रियों को, जो अमेरिका में था, सुरक्षित वापस लौटा दिया.
उन सामग्रियों को अब प्रकाशित करने की योजना पर काम हो रहा है. वाल्टर हाउजर ने वर्जीनिया विवि के दक्षिण एशिया संबंधी अध्ययन विभाग को सशक्त बनाकर उसे विस्तृत किया. इसी सिलसिले में उन्होंने अपने कई विद्यार्थियों को बिहार पर शोध करने के लिए प्रेरित किया, जिनमें प्रो आनंद यांग, स्वर्गीय जिम हेगन, प्रो विलियम पिंच, प्रो क्रस्टिोफर हिल एवं प्रो वेन्डी सिंगर प्रमुख हैं. इन सभी ने बिहार पर शोध कर विदेशों में राज्य को प्रतिष्ठा दिलायी.
भारत के पक्ष को मजबूती से रखते थे वाल्टर
वाल्टर ने अन्तराष्ट्रीय स्तर पर हमेशा भारत के पक्ष को मजबूती के साथ रखते थे. 1971 में बंग्लादेश युद्ध के दौरान भारत के पक्ष में अमेरिकन कांग्रेस में लॉबिंग की और वहां के रेडियो में भारत के दृष्टिकोण से बात रखते रहे.
चिंता हरण सोशल डेवलपमेंट ट्रस्ट ने उनके निधन पर शोक जताया है. वाल्टर के लिए उनके कार्यों के प्रति उनका आभार प्रकट करता है. हमने उनके निधन से बिहार और भारत के पक्ष को विश्व समुदाय के समक्ष सकारात्मक रूप से रखने वाला एक समर्थक खो दिया है. ट्रस्ट उनके चाहने वालों व परिवार के प्रति अपनी शोक-संवेदना प्रकट करता है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement