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उम्मीदवारों के एलान के बाद राजद में बगावत के सुर तेज, तेजप्रताप और फातमी के बाद सीताराम यादव भी हुए बागी

पटना : राजद में टिकट वितरण के बाद विद्रोह के स्वर लगातार बढ़ते जा रहे हैं. दरभंगा के पूर्व सांसद एमएए फातमी के बाद अब सीतामढ़ी के पूर्व सांसद सीताराम यादव ने भी विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है. उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान भी कर दिया है. उन्होंने पार्टी को आठ अप्रैल तक […]

पटना : राजद में टिकट वितरण के बाद विद्रोह के स्वर लगातार बढ़ते जा रहे हैं. दरभंगा के पूर्व सांसद एमएए फातमी के बाद अब सीतामढ़ी के पूर्व सांसद सीताराम यादव ने भी विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है. उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान भी कर दिया है.
उन्होंने पार्टी को आठ अप्रैल तक का समय दिया है. श्री फातमी ने तीन अप्रैल को अपने समर्थकों की बैठक बुलायी है, उसके बाद वह निर्णय लेंगे. इधर लालू प्रसाद के बड़े बेटे व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव भी विद्रोही बने हुए हैं.
वह छात्र राजद के संरक्षक पद से इस्तीफा देने के बाद जहानाबाद से पार्टी उम्मीदवार सुरेंद्र यादव के खिलाफ अपना उम्मीदवार चंद्रप्रकाश को उतारने का एलान कर चुके हैं. साथ ही उन्होंने शिवहर से अपने समर्थक अंगेश सिंह को खड़ा करने की बात कही है. अभी राजद ने शिवहर से प्रत्याशी के नाम का एलान नहीं किया है, इसलिए वह अभी इसका इंतजार कर रहे हैं.
राजद ने सीतामढ़ी से पूर्व सांसद अर्जुन राय को टिकट दिया है. श्री राय को शरद यादव के कोटे से टिकट मिला है. सीतामढ़ी के लोगों ने सीताराम यादव को टिकट देने की मांग को लेकर राजद कार्यालय व राबड़ी ूदेवी के सरकारी आवास पर प्रदर्शन भी किया था.
सीताराम यादव राजद के वरिष्ठ नेता हैं. बताया जा रहा है कि रविवार को उन्होंने सीतामढ़ी में राजद कार्यकर्ताओं व अपने समर्थकों की एक बैठक बुलायी थी, जिसमें उन्होंने कहा कि आठ अप्रैल तक राजद अर्जुन राय को बदल दे, नहीं तो वह निर्दलीय मैदान में उतरेंगे.
उन्होंने बैठक में कहा कि श्री राय ने हमेशा लालू प्रसाद की आलोचना की है. वह दलबदलू हैं. उन्होंने कहा कि मैंने सीतामढ़ी में पार्टी को मजबूत किया है. कार्यकर्ता चाहेंगे तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
उम्मीदवारों के एलान के बाद राजद में बगावत के सुर तेज, तेजप्रताप और फातमी के बाद सीताराम यादव भी हुए बागी
पटना : राजद में टिकट वितरण के बाद विद्रोह के स्वर लगातार बढ़ते जा रहे हैं. दरभंगा के पूर्व सांसद एमएए फातमी के बाद अब सीतामढ़ी के पूर्व सांसद सीताराम यादव ने भी विद्रोह का बिगुल फूंक दिया है. उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान भी कर दिया है.
उन्होंने पार्टी को आठ अप्रैल तक का समय दिया है. श्री फातमी ने तीन अप्रैल को अपने समर्थकों की बैठक बुलायी है, उसके बाद वह निर्णय लेंगे. इधर लालू प्रसाद के बड़े बेटे व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव भी विद्रोही बने हुए हैं.
वह छात्र राजद के संरक्षक पद से इस्तीफा देने के बाद जहानाबाद से पार्टी उम्मीदवार सुरेंद्र यादव के खिलाफ अपना उम्मीदवार चंद्रप्रकाश को उतारने का एलान कर चुके हैं. साथ ही उन्होंने शिवहर से अपने समर्थक अंगेश सिंह को खड़ा करने की बात कही है. अभी राजद ने शिवहर से प्रत्याशी के नाम का एलान नहीं किया है, इसलिए वह अभी इसका इंतजार कर रहे हैं.
राजद ने सीतामढ़ी से पूर्व सांसद अर्जुन राय को टिकट दिया है. श्री राय को शरद यादव के कोटे से टिकट मिला है. सीतामढ़ी के लोगों ने सीताराम यादव को टिकट देने की मांग को लेकर राजद कार्यालय व राबड़ी ूदेवी के सरकारी आवास पर प्रदर्शन भी किया था.
सीताराम यादव राजद के वरिष्ठ नेता हैं. बताया जा रहा है कि रविवार को उन्होंने सीतामढ़ी में राजद कार्यकर्ताओं व अपने समर्थकों की एक बैठक बुलायी थी, जिसमें उन्होंने कहा कि आठ अप्रैल तक राजद अर्जुन राय को बदल दे, नहीं तो वह निर्दलीय मैदान में उतरेंगे.
उन्होंने बैठक में कहा कि श्री राय ने हमेशा लालू प्रसाद की आलोचना की है. वह दलबदलू हैं. उन्होंने कहा कि मैंने सीतामढ़ी में पार्टी को मजबूत किया है. कार्यकर्ता चाहेंगे तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
डैमेज कंट्रोल के लिए आगे आयीं राबड़ी तेजप्रताप पर कार्रवाई के लिए बढ़ रहा प्रेशर
पटना. लालू-राबड़ी परिवार में चल रहा आंतरिक संकट की छाया से जब राजद प्रभावित होने लगा तो राबड़ी देवी को आगे आना पड़ा है. लालू-राबड़ी के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने एक तरह से पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी है. ऐसी स्थिति में अब पार्टी के भीतर तेज प्रताप के खिलाफ कार्रवाई का प्रेशर नेतृत्व पर बढ़ने लगा है.
हालांकि, पार्टी के कोई भी नेता खुलकर कुछ भी नहीं कहना चाहते हैं, लेकिन दबी जुबान से यह जरूर कहते हैं कि पार्टी और घर में जो चल रहा है, उसका मैसेज ठीक नहीं जा रहा है.
पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने तो शनिवार को खुल कर कहा था कि पारिवारिक विवाद को सुलझाने के लिए लालू प्रसाद व राबड़ी देवी को आगे आना चाहिए, इससे जगहंसाई हो रही है.
राजद ने शिवहर को छोड़ सभी 18 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिया है. उम्मीदवारी घोषित होने के बाद तेज प्रताप ने जहानाबाद से चंद्रप्रकाश को भी पर्चा भरने को कह दिया.
यहां तक कहा कि 24 अप्रैल को उसके नामांकन में वे शामिल भी होंगे. सुरेंद्र यादव जहानाबाद से पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी हैं. शिवहर से अभी पार्टी ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. वहां से रामा सिंह, अजीत झा आदि के नाम की चर्चा हैं, जबकि तेज प्रताप अपने समर्थक अंगेश सिंह को वहां से उम्मीदवार बनाना चाह रहे हैं.
यह भी चर्चा में हैं कि वह सारण से पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी व अपने ससुर चंद्रिका राय के खिलाफ खुद मैदान में उतर सकते हैं. बताया जा रहा है कि शनिवार को जब तेज प्रताप ने जहानाबाद से चंद्रप्रकाश के नाम की घोषणा की तो पार्टी और परिवार दोनों जगह चर्चा शुरू हो गयी. पार्टी के समान कार्यकर्ता भी कहने लगे लालू प्रसाद रहते तो ऐसी स्थिति नहीं आती.
इधर बताया जा रहा है कि पार्टी के भीतर जो चल रहा है उसके डैमेज कंट्रोल के लिए अब पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी खुद आगे आयी हैं. उन्होंने तेज प्रताप को नसीहत भी दी है. इधर पार्टी के समान कार्यकर्ता और कई नेता भी कहने लगे हैं कि तेज प्रताप के एक्शन से पार्टी को नुकसान पहुंच रहा है.
समर्थकों व वोटर में अच्छा संदेश नहीं जा रहा है. इसका प्रभाव चुनाव पर पड़ सकता है. सूत्रों का कहना है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी मौजूदा घटनाक्रम से खुश नहीं है.
पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद को भी सारी बातों की जानकारी दी गयी है. पार्टी नेतृत्व पर तेज प्रताप पर फौरी तौर पर लगाम लगाने का प्रेशर बढ़ गया है. कहा जा रहा है कि नेतृत्व को ठोस निर्णय लेना चाहिए. देरी से पार्टी को नुकसान होगा.
राजद-भाकपा के बीच कन्हैया की उम्मीदवारी बनी रोड़ा : मनोज झा
राजद और भाकपा के बीच गठबंधन में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की बेगूसराय से उम्मीदवारी रोड़ा बनी है, क्योंकि राजद को कन्हैया से जुड़े कई विवादों के चलते उनके चुनाव जीतने की क्षमता पर संदेह था.
राजद सांसद और पार्टी के प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि भाकपा-राजद में गठबंधन नहीं हो सकता था, क्योंकि राजद अपने उम्मीदवार तनवीर हसन की बेगूसराय में लोकप्रियता और उनके कार्यों के मद्देनजर कोई समझौता करने को तैयार नहीं था.
उन्होंने कहा कि राजद बहुत मजबूत ताकत रहा है. 2014 के चुनाव में तथाकथित मोदी लहर में भी हमारे उम्मीदवार को लगभग चार लाख वोट मिले थे और तब से उन्होंने बेगूसराय कभी नहीं छोड़ा.
तनवीर हसन की उम्मीदवारी को नजरअंदाज करना हमारे लिए असंभव था. हमारा काडर मजबूत है, जो तनवीर हसन को चाहता था. ऐसा कुछ भी नहीं है, जो हम नहीं कर सकते. सबकुछ हमारे कार्यकर्ताओं, लोगों पर निर्भर है. इसलिए उनकी जगह किसी और को उम्मीदवार बनाना गठबंधन न होने की वजह बना.

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