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जब लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के समय सीबीआइ ने सेना को किया था अलर्ट, बिहार सरकार और सीबीआइ में हो चुका है टकराव
मिथिलेश पटना : सीबीआइ और राज्य सरकार के बीच टकराव का बिहार भी बड़ा गवाह रहा है. जुलाई, 1997 में चारा घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के समय सेना को अलर्ट रहने का संदेश देकर सबको चौका दिया था. मुख्य सचिव और जिला प्रशासन की लिखित अनुमति […]
मिथिलेश
पटना : सीबीआइ और राज्य सरकार के बीच टकराव का बिहार भी बड़ा गवाह रहा है. जुलाई, 1997 में चारा घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के समय सेना को अलर्ट रहने का संदेश देकर सबको चौका दिया था.
मुख्य सचिव और जिला प्रशासन की लिखित अनुमति के बिना ही सीबीआइ के तत्कालीन संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास ने दानापुर आर्मी मुख्यालय के मुख्य अधिकारी से सेना को स्टैंड बाइ में रहने को कहा था. सीबीआइ के संयुक्त निदेशक किसी भी तरह तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को चारा घोटाले के मामले में गिरफ्तार करना चाहते थे. चारा घोटाले के आरोपों से घिरे लालू प्रसाद की पहचान ताकतवर राजनेता के रूप में थी. सीबीआइ को अंदेशा था कि लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के वक्त कोई बड़ी घटना घट सकती है.
यूएन विश्वास ने सिविल वार का अंदेशा जताया था. इसलिए उन्होंने दानापुर के आर्मी प्रमुख को कहा था कि लालू प्रसाद की गिरफ्तारी की स्थिति में विधि-व्यवस्था की समस्या हो सकती है. इससे निबटने के लिए सेना को किसी भी स्थिति से निबटने के लिए अलर्ट रखा जाये. दूसरी ओर लालू प्रसाद अदालत में यह कह चुके थे कि वह कानूनी तौर पर हाजिर होंगे.
उन्होंने इसके लिए कुछ दिनों की मोहलत मांगी थी. संवैधानिक संकट यह था कि सुप्रीम कोर्ट से लालू प्रसाद की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी. उन्हें हर हाल में आत्मसमर्पण करना था या फिर सीबीआइ गिरफ्तार करती. मुख्यमंत्री के रूप में लालू प्रसाद कोर्ट में आत्मसमर्पण नहीं कर सकते थे. इस राजनीतिक संकट का राजद समाधान खोज रहा था.
इसी दौरान यूएन विश्वास ने लालू की गिरफ्तारी के लिए हर संभव प्रयास कर रहे थे. सीबीआइ के भारी दबाव और कानूनी विकल्प के नहीं होने की स्थिति में लालू प्रसाद ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी पत्नी राबड़ी देवी 25 जुलाई, 1997 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके तीन दिन बाद 29 जुलाई को लालू प्रसाद ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया और उन्हें बेऊर जेल भेज दिया गया.
1997 में चारा घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के समय सेना को अलर्ट रहने का संदेश देकर सबको चौका दिया था.
लालू की गिरफ्तारी के लिए यूएन विश्वास ने दानापुर आर्मी प्रमुख को भेजा था पत्र
जांच आयोग ने सीबीआइ के कदम को गलत करार दिया था
बताया जाता है कि सीबीआइ के तत्कालीन संयुक्त निदेशक ने यह कहा था कि उन्हें अदालत ने लालू प्रसाद की गिरफ्तारी में कोई दिक्कत हो ताे सेना की मदद ली जा सकती है, जैसे निर्देश दिये थे. लेकिन, अदालत की ओर से यह साफ कर दिया गया कि ऐसा कोई आदेश सीबीआइ को उसने लिखित तौर पर नहीं दिया था. बाद में इस मामले की जांच के लिए दुराई कमीशन गठित किया गया. कमीशन ने सीबीआइ द्वारा सेना को अलर्ट करने के फैसले को गलत करार दिया था.
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