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अयोध्या मसले के 70 साल से अदालतों में लंबित रहना दुख की बात : रविशंकर प्रसाद

पटना : केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उच्चतम न्यायालय में अयोध्या भूमि विवाद मालिकाना हक मामले की सुनवाई की धीमी गति को देखते हुए सोमवार को कहा कि लोगों की धार्मिक आस्था से जुड़ा राम मंदिर बनाने का मामला 70 साल से अधर में लटका हुआ है. रविशंकर ने सोमवार को पत्रकारों […]

पटना : केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उच्चतम न्यायालय में अयोध्या भूमि विवाद मालिकाना हक मामले की सुनवाई की धीमी गति को देखते हुए सोमवार को कहा कि लोगों की धार्मिक आस्था से जुड़ा राम मंदिर बनाने का मामला 70 साल से अधर में लटका हुआ है. रविशंकर ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान केरल में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर तुरंत लिए गये निर्णय का हवाला देते हुए आश्चर्य व्यक्त किया कि अयोध्या याचिका पर निर्णय लेने के लिए शीर्ष अदालत अबतक कोई तंत्र क्यों नहीं विकसित कर सकी है? उन्होंने कहा कि यह देश के लोगों की इच्छा है कि अयोध्या में राम मंदिर बनाया जाये. हमारे प्रधान मंत्री और हमारे पार्टी अध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह संवैधानिक ढांचे के भीतर होगा.

रविशंकर ने कहा कि कानून मंत्री के रूप में नहीं बल्कि एक आम नागरिक के तौर पर यह कहना चाहेंगे कि यह मामला 70 साल से लंबित है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय को इससे जुड़े मालिकाना हक मामले पर अपना फैसला लेने में 60 साल लग गये और उसी के खिलाफ अपील न्यायालय में 10 साल से लंबित है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का कई मामलों यथा सबरीमाला, परस्त्रीगमन, शहरी माओवादियों और कर्नाटक के मामलों का त्वरित निष्पादन किया है. ‘‘मैं शीर्ष अदालत से अयोध्या के लिए कुछ ऐसा ही करने का आग्रह करूंगा.” रविशंकर की यह टिप्पणी कई भाजपा नेताओं, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के इस मामले को लेकर धीमी प्रगति पर असंतोष व्यक्त किये जाने की पृष्ठभूमि में आयी है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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