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पटना में भी नशे के लिए बेहोशी की दवा केटमाइन का बढ़ा उपयोग
देश के बाहर केटमाइन सप्लाई के रैकेट का हो चुका है खुलासा वर्मा, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल में नशे के रूप में केटमाइन है लोकप्रिय पटना : राजधानी में नशे के रूप में बेहोशी की दवा केटमाइन का उपयोग किया जाने लगा है. अभी तक खांसी की दवा या नींद की दवा का इस्तेमाल ही नशे […]
देश के बाहर केटमाइन सप्लाई के रैकेट का हो चुका है खुलासा
वर्मा, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल में नशे के रूप में केटमाइन है लोकप्रिय
पटना : राजधानी में नशे के रूप में बेहोशी की दवा केटमाइन का उपयोग किया जाने लगा है. अभी तक खांसी की दवा या नींद की दवा का इस्तेमाल ही नशे के रूप में किया जाता था, लेकिन अब केटमाइन का प्रयोग नशा
करने वाले युवाओं के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है. जानकारों की मानें तो केटमाइन के काफी कम अंश का उपयोग नशे के लिए किया जाता है. आमतौर पर इसके पाउडर या टैबलेट का इस्तेमाल नशे के रूप में किया जाता है.
केटमाइन देश के महानगरों मुंबई, दिल्ली, कोलकाता आदि में पहले ही पांव पसार चुका है. अब यह पटना में भी उपयोग में लाया जाने लगा है. केटमाइन पार्टी ड्रग के रूप में प्रचलित है. खास बात यह है कि यह अस्पताल या नर्सिंग होम में उपयोग में लाने के लिए दिया जाता है. चूंकि यह दवा आमलोगों के लिए प्रतिबंधित है, इसलिए इसकी चोरी-छिपे बिक्री की जाती है और मुंहमांगी कीमत वसूली जाती है.
क्या है केटमाइन
केटमाइन दवा आमतौर पर अस्पतालों में मरीज को बेहोश करने के लिए दी जाने वाली दवा है. इसके अलावा इसकी मात्रा के अनुसार कई तरह की बीमारियों में इसका उपयोग किया जाता है. इस दवा के इस्तेमाल से शारीरिक विकास में भी गति आती है.
इस दवा को देकर बच्चों का भी शारीरिक विकास करा कर उन्हें सेक्स रैकेट में डालने का गोरखधंधा भी किया जाता है. सेक्स रैकेट के दलदल से छूटी लड़कियां भी इस बात की जानकारी पुलिस को दे चुकी है कि उक्त दवा काे सेक्स रैकेट संचालक उपयोग में लाते हैं. डीआरआई के अधिकारी का भी कहना है कि नशे के रूप में केटमाइन का उपयोग किया जाने लगा है.
देश के बाहर भी सप्लाई
केटमाइन नशा के रूप में भारत के साथ ही वर्मा, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश आदि देशों में भी लोकप्रिय है. पटना से केटमाइन को इन देशों में भेजा जाता है. नेपाल में तो बिहार के किसी जिले से यह भेज दिया जाता है.
देश के बाहर भेजने के लिए इस दवा को नॉर्थ ईस्ट या फिर कोलकाता के रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है. इसका खुलासा उस समय हुआ था, जब डीआरआई की टीम ने पटना से वर्मा ले जाये जा रहे 70 लाख की प्रतिबंधित केटमाइन दवा को बरामद किया था. दवा की खेप पटना से कोलकाता के लिए जाने वाली बंगाल टाइगर नामक बस से बरामद की गयी थी.
तस्करों ने दवा को बस की छत पर दो बोरों में बंद कर रख दिया था और गलत नाम पते पर बुक करा दिया गया था. बरामदगी के बाद माल के बुकिंग एजेंट से पूछताछ की तो यह जानकारी मिली कि उक्त दवाएं कोलकाता के लिए बुक करायी गयी थी, लेकिन दवा किसकी थी, इसकी जानकारी नहीं मिल पायी. हालांकि जांच में यह स्पष्ट हो गया कि उक्त दवा को वर्मा पहुंचाया जाना था.
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