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पटना : 11.76 लाख घरों का सामूहिक गृह प्रवेश नामुमकिन, इन जिलों में स्थिति बेहद सुस्त

हर महीने के दूसरे और चौथे बुधवार को होगी प्रधानमंत्री आवास योजना की जांच पटना : राज्य के ग्रामीण इलाकों में बेघर गरीबों को घर मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 11 लाख 76 हजार घर बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत पहले से अधूरे पड़े […]

हर महीने के दूसरे और चौथे बुधवार को होगी प्रधानमंत्री आवास योजना की जांच
पटना : राज्य के ग्रामीण इलाकों में बेघर गरीबों को घर मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 11 लाख 76 हजार घर बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत पहले से अधूरे पड़े पांच लाख 80 हजार घर भी शामिल हैं.
इसके साथ ही इस लक्ष्य में अधिकतम संख्या में घरों को पूर्ण करने की कवायद तेजी से चल रही है. ताकि पूर्ण हुए इन सभी घरों का दीपावली (7 नवंबर) के मौके पर सामूहिक रूप से गृह प्रवेश करवाया जा सके.
परंतु आवासों के तैयार होने की रफ्तार देखते हुए यह स्पष्ट हो गया है कि अधिकतम दो लाख या इससे कम आवास ही पूर्ण हो पायेंगे. शेष करीब नौ लाख 96 हजार आ‌वास अधूरे ही रह जायेंगे. दो लाख लक्ष्य पाना भी विभाग के लिए बड़ी चुनौती होगी.
हालांकि, इस स्थिति में सुधार लाने और ज्यादा से ज्यादा संख्या में आवास तैयार करवाने के लिए प्रोत्साहन योजना के साथ ही जांच का कार्यक्रम भी शुरू किया गया है. इसके तहत प्रत्येक महीने के दूसरे और चौथे बुधवार को प्रधानमंत्री आवास योजना की जांच की जायेगी. इस दौरान आवासों की मौजूदा स्थिति का जायजा लिया जायेगा.
इस तरह से करायी जायेगी जांच
पीएम आवास योजना के अलावा मनरेगा की मौजूदा स्थिति की भी जांच की जायेगी. यह जांच वरीय पदाधिकारियों के स्तर से पंचायतवार की जायेगी. इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव ने सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि जिला स्तर के पदाधिकारियों की टीम बनाकर इसे ‘मनरेगा जांच दिवस’ के रूप में मनाया जाये और इस दिन पंचायतवार जांच की जायेगी. किसी जिले में जितने भी प्रखंड मौजूद हैं, वहां उतनी ही संख्या में जांच टीम का गठन किया जाये.
इसके बाद प्रत्येक प्रखंड में किसी पंचायत का चयन कर वहां गहन जांच की जायेगी. जिस पंचायत में जांच होनी है, वहां एक दिन पहले मंगलवार को डुगडुगी पीटवाकर इसका प्रचार करवा दिया जाये. परंतु कौन सी टीम किस प्रखंड में जाकर जांच करेगी, यह सूचना गुप्त होगी. जांच के दौरान वहां की दोनों योजनाओं के तमाम रजिस्टर को खंगाला जायेगा.यह जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपी जायेगी, इसके बाद डीएम के माध्यम से यह विभाग में आयेगी.
इन जिलों में स्थिति बेहद सुस्त
सबसे अच्छी स्थिति शेखपुरा में 40.57 प्रतिशत, नालंदा की 31.56 प्रतिशत, नवादा में 20 प्रतिशत के अलावा लखीसराय, गोपालगंज, मुंगेर और सारण की प्रगति निर्धारित लक्ष्य की तुलना में महज 15 फीसदी है.
जिन कुछ जिलों में निर्माण की स्थिति बेहद खराब है, उसमें आरा (0.77), अरवल (5.79), कटिहार (2.17), दरभंगा (2.26), मधेपुरा (1.45), मधुबनी (2.96), मुजफ्फरपुर (2.22), पटना (1.51), पूर्वी चंपारण (1.19), पूर्णिया (2.38), सहरसा (2.81), सीतामढ़ी (1.33), सुपौल (1.77) और वैशाली (3.06 प्रतिशत) शामिल हैं. ये जिले लक्ष्य से काफी पीछे हैं.

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