पटना : राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार पर जांच एजेंसियों का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. बहुचर्चित रेलवे होटल टेंडर घोटाले में सीबीआई ने सोमवार को नयी दिल्ली स्थित पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी.
इसमें तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी व पूर्व सीएम राबड़ी देवी और बेटे व पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव समेत कुल 14 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है, जबकि सीबीआई की एफआईआर में आठ लोगों के ही नाम थे.
चार्जशीट में पहले से नामजद आठ लोगों के अलावा छह अन्य लोगों के नाम भी बतौर नामजद अभियुक्त शामिल किये गये हैं. जिन नये छह लोगों को अभियुक्त बनाया गया है, उनमें राजद के राज्यसभा सदस्य और लालू प्रसाद के बेहद करीबी प्रेमचंद गुप्ता के अलावा आईआरसीटीसी के तत्कालीन निदेशक राकेश सक्सेना, तत्कालीन जीजीएम (टूरिज्म) बीके अग्रवाल, जीजीएम आरके गोगया, जीजीएम वीके अस्थाना और सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शामिल हैं.
14 अभियुक्तों में सांसद प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता, सुजाता होटल और चाणक्य होटल के मालिक बंधु विनय कोचर व विजय कोचर भी शामिल हैं. अन्य अभियुक्त रेलवे के तत्कालीन अधिकारी हैं, जिनकी संलिप्तता इस घोटाले के साथ-साथ लालू प्रसाद के रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान अन्य कई गड़बड़ियों में भी पायी गयी है. इन अधिकारियों पर निजी कंपनी के साथ सांठगांठ कर गलत तरीके से लाभ उठाने और उन्हें रेलवे टेंडरों में गलत तरीके से फायदा पहुंचाने का काम किया है. वर्तमान में सभी अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
दो होटलों के ठेके के बदले तीन एकड़ जमीन ली
मामले के अनुसार रेल मंत्री के पद पर रहते हुए लालू प्रसाद ने मई 2004 में इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म काॅरपोरेशन (आईआरसीटीसी) की ओर से संचालित रेलवे के पुरी और रांची स्थित दो रेल रत्न होटलों का ठेका कोचर बंधु की कंपनी सुजाता होटल्स को दे दिया था.
इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया में बड़े स्तर पर धांधली की गयी थी. इसके बदले में एक शेल कंपनी लारा प्राइवेट लिमिटेड (पहले इसका नाम डिलाइट मार्केटिंग था) के जरिये पटना में तीन एकड़ का भूखंड लिया गया, जिस पर बिहार का अपने बड़ा मॉल बनाया जा रहा था. लारा कंपनी के निदेशक राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद हैं, जबकि डिलाइट कंपनी की निदेशक सरला गुप्ता हैं.
इस पूरी लेन-देन की प्रक्रिया में राजद सांसद प्रेमचंद गुप्ता की भी भूमिका काफी अहम रही है. उन्होंने ही शेल कंपनी का गठन करवा कर तमाम अवैध रुपये का ट्रांजेक्शन करवाया और फिर से इसे दूसरी कंपनी के जरिये लालू परिवार को ट्रांसफर करवा दिया. सुजाता होटल्स को ठेका मिलने के बाद 2010 से 2014 के बीच डिलाइट मार्केटिंग कंपनी का मालिकाना हक राजद सांसद प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता से राबड़ी देवी व तेजस्वी यादव के पक्ष में हो गया.
उस समय तक लालू प्रसाद रेल मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके थे. सीबीआई ने पांच जुलाई, 2017 को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के बाद तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी थी. इसी क्रम में सबसे पहले राबड़ी देवी के पटना स्थित आवास पर 11 जुलाई, 2017 को छापेमारी की गयी. करीब 10 घंटे तक चली इस छापेमारी में कई कागजात समेत अन्य अहम दस्तावेज बरामद किये गये. हाल ही में राबड़ी देवी से पटना में पूछताछ की थी.
इस मामले में बनाये गये ये 14 अभियुक्तों :-
– लालू प्रसाद, तत्कालीन रेलवे मंत्री
– राबड़ी देवी
– तेजस्वी प्रसाद यादव
– लारा प्रोजेक्ट एलएलपी (पूर्व नाम मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड)
– विजय कोचर, निदेशक मेसर्स सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड
– विनय कोचर, निदेशक मेसर्स सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड
– सरला गुप्ता (प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी)
– पीके गोयल (तत्कालीन एमडी, आईआरसीटीसी)
– प्रेमचंद गुप्ता, राजद सांसद
– राकेश सक्सेना, (तत्कालीन निदेशक (टी एंड एम), आइआरसीटीसी)
– बीके अग्रवाल, (तत्कालीन जीजीएम (टूरिज्म सर्विस), आइआरसीटीसी)
– आरके गोगीया, (तत्कालीन जेजीएस एंड सीएस, आइआरसीटीसी)
– वीके अस्थाना, (तत्कालीन जीजीएम (ऑपरेशन), आइआरसीटीसी)
– मेसर्स सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड के अन्य सभी निदेशक
सीबीआई ने अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए राबड़ी और तेजस्वी के विरुद्ध चार्जशीट दायर की है. राबड़ी के आवास पर छापेमारी का मकसद महागठबंधन से नीतीश कुमार को निकलने का बहाना प्रदान करना था.
शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राजद