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…जब वास्कोडिगामा के यात्रियों ने सुनायी हादसे की कहानी, कहा, आंख खुली तो शव के बीच में फंसा था

बाल-बाल बचे : वास्कोडिगामा एक्सप्रेस के यात्रियों ने सुनायी हादसे की कहानी पटना : गोवा के वास्कोडिगामा से चलकर पटना आने वाली वास्कोडिगामा एक्सप्रेस के 13 डिब्बों के शुक्रवार को िचत्रकुट के पास पटरी से उतरने के बाद उसके यात्रियों को स्पेशल ट्रेन से पटना जंक्शन भेजा गया. इस ट्रेन से पटना जंक्शन पहुंचे यात्रियों […]

बाल-बाल बचे : वास्कोडिगामा एक्सप्रेस के यात्रियों ने सुनायी हादसे की कहानी
पटना : गोवा के वास्कोडिगामा से चलकर पटना आने वाली वास्कोडिगामा एक्सप्रेस के 13 डिब्बों के शुक्रवार को िचत्रकुट के पास पटरी से उतरने के बाद उसके यात्रियों को स्पेशल ट्रेन से पटना जंक्शन भेजा गया. इस ट्रेन से पटना जंक्शन पहुंचे यात्रियों ने आपबीती सुनायी. शंकर पंडित गोवा में रह कर राज मिस्त्री का काम करते हैं. वह अपने बेटे के साथ पटना और यहां से छपरा जा रहे थे. कोच नंबर एस 10 नंबर में सवार होकर गोवा से पटना आ रहे पंडित ने बताया कि घर एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए ट्रेन से आ रहा था.
हादसे के समय सभी यात्री गहरी नींद में थे. अचानक भागो-भागो की आवाज से नींद खुली तो देखा की ट्रेन रुकी हुई है, लोग आपातकालीन विंडो व दरवाजे से कूद रहे थे. आसपास कई यात्री पड़े थे. वो जिंदा थे या नहीं समझ नहीं आ रहा था. शंकर ने भी विंडो से कूद कर किसी तरह से जान बचायी. शंकर ने कहा कि जिस ट्रेन के कोच में सफर कर रहा था उसी कोच में दीपक व उसका बेटा गोलू भी सफर कर रहे थे. जिनका सर पूरी तरह से कट गया था.
हादसे के आधे घंटे बाद आयी रेलवे की टीम : किसी तरह अपनी जान बचा कर पटना पहुंची शिल्पी अपने पति व बेटे के साथ गोवा से पटना आ रही थी. एसी कोच में सफर कर रही शिल्पी ने कहा कि घटना करीब साढ़े चार बजे हुई. गनीमत था उस वक्त ट्रेन की गति धीमी थी.
अगर स्पीड अधिक रहती तो दर्जनों यात्रियों की मौत निश्चित थी. शिल्पी ने कहा कि ट्रेन हादसे के आधे घंटे बाद रेलवे की बचाव टीम पहुंची.
हादसे से दो घंटे पहले लगा था झटका: मौत के मुंह से बाहर निकले फूल बाबू ने बताया कि वह रात दो बजे से ही जगा था और अपने एक रिश्तेदार से फोन पर बात कर रहा था. उसने बताया कि रात करीब 2:30 बजे चलती ट्रेन में एक जोरदार झटका लगा, उस वक्त कई यात्री डर गये थे. इसके दो घंटे बाद अचानक ट्रेन डिरेल हो गयी. यात्री का कहना है कि शायद ट्रेन में पहले से ही कुछ खराबी थी.
गम, गुस्से और आंसू लिए अपनों को खोजने पहुंचे
शुक्रवार को सुबह 11 बजे आंखों में आंसू लिए पटना सिटी के धर्मेंद्र कुमार पटना जंक्शन पहुंचे. प्लेटफॉर्म नंबर एक पर बने हेल्पलाइन डेस्क पर तैनात अधिकारी से वह अपने पिता शंकर पंडित की स्थिति जानना चाहते थे. लेकिन अधिकारी कुछ भी स्पष्ट बता पाने की स्थिति में नहीं थे.
इससे धर्मेंद्र की बेचैनी और अधिक बढ़ गयी, धर्मेंद्र अपने पिता के मोबाइल पर बार-बार फोन लगा रहा था, लेकिन नंबर नॉट रिचेबल बता रहा था. इस बीच करीब एक घंटे बाद शंकर ने दूसरे के मोबाइल से बेटे को फोन किया, तो धर्मेंद्र के चेहरे पर मुस्कान लौटी. पिता को ट्रेन हादसे में किसी तरह की कोई चोट नहीं आयी थी. इस बीच में कोई अपने माता-पिता तो कोई अपने चाचा तो कोई बहन की जानकारी ले रहा था.
मालगाड़ी के ब्रेकवान में लगी आग
पटना : पटना जंक्शन पर उस समय अफरा-तफरी मच गयी जब एक लाइन पर खड़ी एक मालगाड़ी के ब्रेकवान में आग लगने की सूचना मिली. गनीमत था आग रेल पटरी के पास लगी थी, जिसे सूचना मिलते ही मौके पर बचाव टीम पहुंच गयी और पानी का छिड़काव कर आग पर काबू पाया. इससे एक बड़ा हादसा टल गया.
दिन भर खोजती रही जिगर के टुकड़े को, बेटे का चेहरा देख आंखों में भर गये आंसू
ट्रेन हादसे की जानकारी दूसरे के मुंह से सुन पटना जंक्शन पर अपने बेटे को खोजने पहुंची मां नुरेसा खातून दिन भर प्लेटफॉर्म नंबर एक पर बैठी रही. कभी वह हेल्प डेस्क पर जाकर अपने जिगर के टुकड़े जावेद (22) को खोजने पहुंच रही थी तो कभी वह पूछताछ केंद्र में जाकर ट्रेन आने के बारे में जानकारी मांग रही थी.
बिना कुछ खाये पीये 12 घंटे तक जंक्शन पर पड़ी रही. वहीं शाम 5:30 पर जैसे ही डीआरएम पहुंचे महिला उनसे गुहार लगाने लगी, डीआरएम ने आश्वासन दिया स्पेशल ट्रेन में जावेद आ रहा है. वहीं जैसे ही ट्रेन पटना जंक्शन 5:50 बजे पहुंची नुरेसा खातून की आंखों में खुशी के आंसू छलक गये.
– दिन भर बजते रहे फोन, कब आयेगी ट्रेन: पटना जंक्शन पर बने हेल्प डेस्क के नंबर पर दिन भर फोन बजते रहे. लोग अपने परिचित व ट्रेन के आने के बारे में पूछताछ कर रहे थे.
– घायल लोगों को मानिकपुर के नजदीकी अस्पताल में इलाज कराया गया. करीब 10 गंभीर लोगों का इलाज वहीं चल रहा है. वहीं बाकी बचे यात्रियों को हजरत निजामुद्दीन मानिकपुर स्पेशल ट्रेन से पटना जंक्शन लाया गया.
Prabhat Khabar Digital Desk
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