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बिहार की बीमार नदियों में हम और आप करेंगे छठ पूजा

पटना : हम और आप इस बार भी बीमार नदियों में छठी मइया की आराधना करेंगे. आस्था के नाम पर हम पवित्र मान कर इन नदियों से जल लेकर आयेंगे, प्रसाद बनायेंगे और शाम तथा सुबह में नदियों के जल में घंटों खड़े रहकर सूर्य देव की उपासना करेंगे. लेकिन हकीकत में बिहार के इन […]

पटना : हम और आप इस बार भी बीमार नदियों में छठी मइया की आराधना करेंगे. आस्था के नाम पर हम पवित्र मान कर इन नदियों से जल लेकर आयेंगे, प्रसाद बनायेंगे और शाम तथा सुबह में नदियों के जल में घंटों खड़े रहकर सूर्य देव की उपासना करेंगे.
लेकिन हकीकत में बिहार के इन नदियों की हालत बहुत खराब है. इन नदियों का जल स्नान तो क्या आचमन के लायक भी नहीं है. इनमें पानी का फ्लो बहुत कम है और प्रदूषण इस कदर है कि विशेषज्ञों की नजर में यह नदी से नाले बन चुके हैं. पानी रहे तब न कचरा बहे? अब गंदगी व कचरा वाले इस जल से यदि हम पवित्र प्रसाद बनाते हैं तो हम उसकी शुद्धता को लेकर शंका से घिरे रहते हैं और यदि रुढ़िवादी बने रहेंगे तो फिर चलता है कि मानसिकता के साथ आस्था के नाम पर प्रदूषण झेलते रहेंगे.
यह हमारे-आपके स्वास्थ्य के लिहाज से बिल्कुल ठीक नहीं है. राजधानी में गंगा नदी का तो और बुरा हाल है. सौ से ज्यादा नाले सीधे गंगा में गिराये जा रहे हैं. एसटीपी काम नहीं कर रहे हैं और इसके कारण यहां न केवल गंगा दूर चली गयी है बल्कि जहां है, वहां बेहद प्रदूषित है. हमने इस विषय को लेकर जब कुछ विशेषज्ञों से बात की तो उनका साफ कहना था कि छठ में केवल हम आस्था के कारण ही नदियों में जलार्पण करने जाते हैं.
नालों का पानी हो डाइवर्ट : प्रो. रमाकर झा
एनआईटी पटना के सेंटर फॉर रिवर स्टडीज के प्रमुख प्रो रमाकर झा कहते हैं कि सभी तीर्थ स्थान के किनारे फ्लोटिंग पॉपुलेशन बहुत ज्यादा है. रोज लाखों लोग शहर में आते हैं, एक तो वह गंदगी करते हैं.
इसका प्राॅपर मैनेजमेंट होना चाहिए. अब पटना में यदि आप गंगा नदी में त्योहार मनाना चाहते हैं तो जितने भी नाले (सौ से ज्यादा) नदी में गिर रहे हैं. उसे एक सप्ताह पहले डाइवर्ट किया जाये, खेतों में ले जाया जाये और नदियों के टॉप लेवल में एक से तीन फुट का कचरा निकालना होगा जहां पर नाले मिल रहे हैं. इस गंदगी को सैदपुर नाले में डाइवर्ट करना होगा.
नदियां कम फ्लो के कारण प्रदूषित: प्रो. प्रधान
सेंटर फॉर इन्वायरमेंट स्टडीज के प्रमुख प्रो प्रधान पार्थ सारथी कहते हैं कि बिहार में कहीं भी किसी भी नदी में पानी है नहीं, कैचमेंट में बारिश की कमी है और यही कारण है कि पानी में फ्लो नहीं है. सिल्ट की वजह से फ्लो डिस्टर्ब हो गया है.
सोन काफी ऊंचाई से आता है और सिल्ट लेकर आता है इसकी वजह से गंगा में सिल्ट बढ़ते हैं. पटना के गंगा के 20-25 किमी पहले कहें या फिर बाद में पानी का बहाव कम है. यही नहीं गंडक भी सिल्ट को लाकर डिपॉजिट कर देती है. अब नदियां 70 फीसदी रिचार्ज तो बारिश के कारण ही होती है. डैम बनाने के कारण फ्लो कम हो गया. हम सबको चेतना होगा.
एक्सपर्ट व्यू
बिहार और पूर्वी यूपी की एक भी नदी का जल आचमन के लायक नहीं : राजेंद्र सिंह
बिहार और पूर्वी यूपी में मनाया जाने वाला छठ ऐसा पर्व है जो नदियों और जल की शुद्धि के साथ ही सम्मान को लेकर एक बड़ा संदेश देता है. लेकिन दुखद स्थिति यह है कि बिहार और पूर्वी यूपी की एक भी नदी का जल आचमन करने के लायक नहीं है. स्नान करने और पूजा के प्रसाद बनाने के लिए इस जल के प्रयोग की तो बात छोड़ ही दीजिए. बिहार की सारी नदियां तो गंदे नाले में तब्दील हो चुकी हैं. आप गंगा की बात करें या फिर गंडक, सोन या कोसी की.

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