पटना / नयी दिल्ली: मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा नेशनल एलिजिबिलिटी कम एन्ट्रेन्स टेस्ट एनईईटी, को खत्म करने पर जोर देते हुए जदयू के राज्यसभा सदस्य शरद यादव ने कहा कि केंद्र और राज्यों को अदालत में इसके खिलाफ तर्क देना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरत हो, तो संसद में एक कानून बनाना चाहिए, जिसके तहत राज्य सरकार नियंत्रित मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों के मामलों में केंद्र सरकार का हस्तक्षेप बंद हो.
नीट में कम अंक आने की वजह से तमिलनाडु में एक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने में नाकाम रही 19 वर्षीय एक छात्रा के आत्महत्या करने के मामले का जिक्र करते हुए जदयू के वरिष्ठ नेता ने नीट को गंभीर खामीयुक्त एवं कई तरह से भेदभावकारी बताया. उन्होंने कहा कि भारत में कई स्कूल शिक्षा बोर्ड हैं और राज्य बोर्ड के छात्रों पर नीट को थोपना भेदभावपूर्ण है. उन्होंने कहा कि यह टेस्ट सीबीएसई पाठ्यक्रम आधारित है, इसलिए यह राज्य बोर्ड के छात्रों को समान अवसर नहीं देता.
यादव ने एक बयान में कहा कि नीट में पास होने के लिए राज्य बोर्ड के छात्रों को विशेष कोचिंग कक्षाओं की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह एक भेदभावपूर्ण चलन है, क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि वाले छात्र यह कैसे करेंगे. नीट का परिणाम अंतत: कोचिंग के कारोबार के रूप में आयेगा और गरीब छात्र परेशान होंगे. उन्होंने मांग की कि इस टेस्ट को तत्काल खत्म कर दिया जाना चाहिए.
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