33.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

उपभोक्ता फोरम : 3400 का मोबाइल, खर्च हो गये 15,000, फिर भी न्याय नहीं

पटना : सरकार के जागो ग्राहक जागो के तहत ग्राहक तो जागरूक हो गये हैं, पर जिला उपभोक्ता फाेरम अब भी सोया हुआ है. क्योंकि जिला फाेरम में पहुंचने वाले ग्राहकों की लंबी कतार है. पर न्याय देने वाले फोरम की सुस्त प्रक्रिया ग्राहकों को निराश कर रही है. न्याय के इंतजार में जागरूक ग्राहकों […]

पटना : सरकार के जागो ग्राहक जागो के तहत ग्राहक तो जागरूक हो गये हैं, पर जिला उपभोक्ता फाेरम अब भी सोया हुआ है. क्योंकि जिला फाेरम में पहुंचने वाले ग्राहकों की लंबी कतार है. पर न्याय देने वाले फोरम की सुस्त प्रक्रिया ग्राहकों को निराश कर रही है.
न्याय के इंतजार में जागरूक ग्राहकों की लंबी फेहरिस्त है. 3900 मामले पेंडिग जिला उपभोक्ता फोरम में पेंडिग पड़े हैं. इन मामलों की सुनवाई के लिए प्रतिदिन ग्राहकों की भीड़ फोरम में पहुंचती तो है, पर फोरम की सुस्त न्याय प्रक्रिया से निराश होकर वापस लौट जा रही है. वहीं, दूसरी ओर फोरम कर्मचारियों की कमी का रोना रो रहा है. ऐसे में सरकार ग्राहकों को जागरूक करने का काम तो कर रही है, पर फोरम को अब तक नहीं जगा सकी है.
केस 1 : पटना निवासी नारायण प्रसाद जायसवाल भी इसी फेहरिस्त में शामिल हैं, जो बीते छह वर्षों से जिला फाेरम में न्याय की उम्मीद लिये चक्कर काट रहे हैं. पुलिस डिपार्टमेंट से सेवानिवृत्त हो चुके जायसवाल जी बताते हैं कि वर्ष 2010 के अक्तूबर माह में स्पाइस कंपनी का 3400 रुपये का मोबाइल खरीदा था. मोबाइल खरीदने के कुछ दिन बाद ही मोबाइल ने काम करना बंद कर दिया. जब इसकी शिकायत दुकानदार से की, तो दुकानदार उसे रिप्लेस करने की बात कह कर टालमटोल करता रहा है.
पूरे तीन महीने तक दुकानदार और कंपनी के बीच परेशान होने के बाद वर्ष 2011 में जिला उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज कराया. केस दर्ज कराने के छह वर्ष से अधिक समय हो गया है. इन छह वर्षों में मोबाइल की रकम से तीन गुणा राशि यानी 15,000 खर्च हो चुके हैं. पर न्याय नहीं मिल पाया है. अब जायसवाल जी केस बंद कराने की मांग कर रहे हैं.
केस टू : पटना सिटी निवासी अनिल सिंह भी बीते पांच वर्षों से परेशान हैं. उन्होंने गांधी मैदान स्थित एक्सिस बैंक की एटीएम से पांच हजार रुपये निकाले थे, पर एटीएम से बगैर पैसा निकले ही उनके अकाउंट से पैसा निकासी का मैसेज भेज दिया गया. अकाउंट से पैसे भी निकल गये. इसकी शिकायत उन्होंने बैंक में की पर कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद वर्ष 2012 में उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज कराया. पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है. न्याय के इंतजार में उन्होंने पांच हजार के बदले 25,000 रुपये भी खर्च कर दिये हैं.
10 स्वीकृत पद, कार्यरत महज छह
फोरम में कुल 10 स्वीकृत पद हैं. इनमें दो लिपिक तीन चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी, दो स्टेनो, एक दरबान, दो सदस्यों के पद शामिल हैं. लेकिन फोरम में इन स्वीकृत पदों के एवज में मात्र छह से ही काम लिया जा रहा है. ऐसे में आधे से अधिक समय फोरम में एक सदस्य
की छुट्टी पर चले जाने पर कोर्ट की कार्यवाही बंद हो जाती है. क्योंकि फोरम में कोर्ट की कार्यवाही में जिला जज और सदस्य दोनों की उपस्थिति अनिवार्य है.
लगभग 22 लाख का बजट : फोरम का कुल बजट 18,92,500 का है. जिला जज का वेतन 1,21,467 है. सदस्यों की सैलरी 30 हजार है. वहीं, फोन मद में 10,000, कार्यालय व्यय में 30,000 व यात्रा व्यय में 12, 815 रुपये दिया जाता है. संविदा पर कार्यरत कर्मियों के लिए 2,75,000 रुपये भी दिये जा रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें