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48 हजार टन की ही खरीद
विलंब से शुरू हुई धान की खरीद, लक्ष्य से काफी कम प्रदेश व केंद्र सरकार किसानों के उत्थान को लेकर आये दिन नयी-नयी योजनाएं चला रही है. कृषि प्रधान देश होने के नाते किसानों के प्रति सरकार को उदार होना भी चाहिए. बावजूद जमीनी हकीकत देखा जाये, तो सबसे अधिक शोषण किसानों का ही हो […]
विलंब से शुरू हुई धान की खरीद, लक्ष्य से काफी कम
प्रदेश व केंद्र सरकार किसानों के उत्थान को लेकर आये दिन नयी-नयी योजनाएं चला रही है. कृषि प्रधान देश होने के नाते किसानों के प्रति सरकार को उदार होना भी चाहिए. बावजूद जमीनी हकीकत देखा जाये, तो सबसे अधिक शोषण किसानों का ही हो रहा है. इसके लिए सीधे-साधे जिम्मेवार सरकार व संबंधित अधिकारी को बताया जा रहा है.
कुछ इसी तरह का मामला धान खरीद को लेकर चल रहा है. सरकार द्वारा धान खरीद के लिए 85 हजार टन लक्ष्य निर्धारित किया गया था, खरीद उससे काफी कम करीब 48 हजार टन ही हुई है. जबकि, इसके लिए समय मात्र आठ दिन बचे हैं. 31 मार्च तक ही धान की खरीदारी होनी है. ऐसे में किसानों को अब इसका कितना लाभ मिलेगा यह कहना मुश्किल है. खरीद को लेकर रोज-रोज की हां-ना के बाद अधिकतर किसान व्यपारियों के हाथ ही धान बेंच चुके हैं. धान की सही खरीद हो इसके लिए सभी प्रखंडों में किसानों ने धरना दिया. बावजूद प्रशासन के तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया.
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