17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मस्तिष्क ज्वर का इलाज हुआ सुलभ

सुविधा. सदर अस्पताल में 10 व पीएचसी में चार बेडों के खोले जायेंगे जेइ वार्ड बिहारशरीफ : जेइ/एइएस की रोकथाम व बचाव के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. इस रोग के मरीज चिह्नित होने पर इसका सहज रूप से इलाज किया जा सके, इसके लिए मुकम्मल व्यवस्था करने में विभाग […]

सुविधा. सदर अस्पताल में 10 व पीएचसी में चार बेडों के खोले जायेंगे जेइ वार्ड

बिहारशरीफ : जेइ/एइएस की रोकथाम व बचाव के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. इस रोग के मरीज चिह्नित होने पर इसका सहज रूप से इलाज किया जा सके, इसके लिए मुकम्मल व्यवस्था करने में विभाग के अधिकारी जुट गये हैं. रोगियों को बेहतर चिकित्सा प्रदान करने के लिए जिला मुख्यालय अवस्थित सदर अस्पताल में जेइ वार्ड खोला जायेगा. इस वार्ड में मरीजों को भरती करने के लिए दस बेड लगाये जायेंगे, ताकी जेइ/एइएस से पीड़ित मरीजों का सहज रूप से इलाज किया जा सके.
हरेक पीएचसी में भी खुलेगा वार्ड : जिले के हरेक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी जेइ व एइएस के चिह्नित मरीजों के इलाज की व्यवस्था होगी. हरेक पीएचसी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि इसके लिए अस्पताल में एक अलग वार्ड बनाया जाये. उस वार्ड में चार बेड लगाये जायें, ताकि प्रखंड क्षेत्रों में चिह्नित होने वाले इसके मरीजों को भरती कर अविलंब प्रारंभिक तौर पर चिकित्सा सेवा प्रदान की जा सके. साथ ही जिला स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारी ने जिले के अनुमंडलीय अस्पतालों के उपाधीक्षकों को भी सख्त निर्देश दिया है कि वे भी अस्पताल में एक अलग वार्ड की व्यवस्था करें. संबंधित वार्ड में चार-चार बेड लगाएं. इस कार्य को मूर्त रूप देने में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व उपाधीक्षक तत्परता दिखाएं.
चिकित्सीय सुविधाओं से लैस होगा वार्ड : सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व अनुमंडलीय अस्पतालों में खुलने वाले वार्डों में चिकित्सीय सुविधाओं से लैस किया जायेगा. संबंधित संस्थानों के प्रधानों को निर्देश दिया गया है कि मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित लोगों का वार्ड में भरती कर बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान की जाये. इसके लिए आवश्यक जीवनरक्षक दवा, उपकरण आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये. साथ ही वार्ड में चिकित्सक से लेकर पारा मेडिकल कर्मियों की तैनाती करें. वार्ड में डॉक्टर से लेकर कर्मियों की ड्यूटी करने के लिए रोस्टर चार्ट भी बनाया जाये. रोस्टर के अनुसार ही चिकित्सा पदाधिकारी व कर्मी जेइ वार्ड में काम करेंगे.
एएनएम से लेकर आशा तक होंगी प्रशिक्षित
जापानी इंसेफलाइटिस बीमारी के लक्षण व बचाव के लिए जिले की एएनएम से लेकर आशा तक को इसके लिए प्रशिक्षित किये जायेंगे, ताकी वे अपने-अपने पोषक क्षेत्रों में जाकर संदिग्ध मरीजों की पहचान आसानी से कर सकें. साथ ही जिले की आंगनबाड़ी सेविकाओं को भी जानकारी दी जायेगी. इसका मुख्य उद्देश्य है कि सेविकाएं भी अपने क्षेत्रों में जाकर मरीजों की पहचान कर उसे इलाज के लिए निकट के अस्पतालों में भेजेंगी. जिले के सभी पीएचसी व अनुमंडलीय अस्पतालों के क्रमश: प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व उपाधीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि अपने स्तर से एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे, ताकी प्रशिक्षित उक्त कर्मी गांव स्तर पर बीमारी की रोकथाम व बचाव के बारे में ग्रामीणों को जागरूक कर सकेंगी.
जब ग्रामीण लोग बीमारी के लक्षण व बचाव के बारे में अवगत होंगे तो लक्षण मिलने के बाद तुरंत पीड़ितों को इलाज के लिए अस्पताल में भरती करा सकेंगे. जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ मनोरंजन कुमार ने बताया कि एइएस/जेइ के मरीज अप्रैल से लेकर दिसंबर माह तक प्रतिवेदित होते हैं.
इसके मद्देनजर संदिग्ध मरीजों के मिलने पर इलाज के लिए उक्त कदम उठाये गये हैं. पिछले साल जिले के विभिन्न प्रखंडों में इस रोग के सोलह मरीज चिह्नित हुए थे.
मस्तिष्क ज्वर के लक्षण
तेज बुखार आना
चमकी अथवा पूरे शरीर या किसी खास अंग में एेंठन होना
बच्चे का सुस्त होना/बेहोश होना
चिउंटी काटने पर शरीर में कोई हरकत नहीं होना
इससे बचाव के लिए क्या उपाय करें
धूप से बचें, तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से दो-तीन बार पोंछें तथा आशा दीदी, एएनएम से संपर्क करें
साफ पानी में ओआरएस घोल कर पिलाएं, बेहोशी की अवस्था में बच्चे को हवादार स्थान पर रखें, मुंह से कुछ भी न दें एवं नाक बंद न करें
सोते वक्त मच्छरदानी का सदैव प्रयोग करें, घरों के पास गंदा पानी तथा गंदगी को जमा नहीं होने दें, बगीचे में गिरे जूठे फल न खाएं
क्या कहते हैं अिधकारी
एइएस/जेइ की रोकथाम व बचाव करने के लिए तैयारी शुरू कर दी गयी है. जिले के सभी पीएचसी व अनुमंडलीय अस्पतालों के प्रभारियों व उपाधीक्षकों को अलर्ट किया गया है. अस्पतालों में इसके लिए अलग वार्ड की व्यवस्था करने को कहा गया है, ताकी संदिग्ध मरीजों के चिह्नित होने पर भरती कर सहज रूप से चिकित्सा सेवा प्रदान की जा सके. वार्ड में चिकित्सीय सुविधा को भी व्यवस्थित करने का निर्देश दिया गया है.
डॉ ललित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, नालंदा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें