इलाज में कोताही नहीं बरतें मरीज
एमडीआर के मरीजों के बलगम की जांच सीबीनैट से कराएं
बिहारशरीफ. समय पर इलाज शुरू नहीं होने पर यक्ष्मा के मरीज एक साल के दौरान 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है. टीबी के मरीजों की चिकित्सा में कदापि कोताही नहीं बरती जाय.
मरीज अपनी बीमारी का समय पर इलाज सुनिश्चित करायें. यह बातें सिविल सर्जन डॉ सुबोध प्रसाद सिंह ने मंगलवार को सदर अस्पताल के सभागार में डॉक्टरों को प्रशिक्षण देते हुए कहीं. टीबी के मरीजों को बेहतर इलाज के लिए इन दिनों जिले के डॉक्टरों को इलाज के बेहतर गुर सिखाये जा रहे हैं. जनवरी माह से टीबी के मरीजों को हर दिन इसकी दवा खानी होगी.इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रशिक्षण शिविर में चिकित्सकों को टिप्स बताये जा रहे हैं.
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ.रविन्द्र कुमार ने बताया कि एमडीआर के मरीजों पर विशेष नजर रखने की जरूरत है. यदि किसी घर में एमडीआर के मरीज हैं तो उसके बलगम की जांच सीबीनैट से करायें. यह मशीन सूक्ष्म से सूक्ष्म टीबी की जीवाणुओं को आसानी से पता लगा लेने में सक्षम हैं.
यह मशीन जिला यक्ष्मा केन्द्र में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि अस्पताल के ओपीडी में इलाज कराने पहुंचने वालों में से तीन फीसदी मरीजों को डीएमसी में रेफर करें. जिन्हें दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी हो रही है. यदि इस दौरान एमडीआर के मरीज चिंहित होते हैं तो उन्हें डीएमसी की जगह जिला यक्ष्मा केन्द्र में भेजें जहां पर सीबीनैट लगी हुई है.डब्लूएचओ के डॉ.संजय कुमार ने डॉक्टरों को टिप्स देते हुए कहा कि मरीजों को नियमित रूप से जीवनरक्षक दवा उपलब्ध करायें.बीमारी के कैटेगेरी के अनुसार दवा उपलब्ध करायी जाय. यदि मरीज कैट वन के हैं तो छह माह और कैट टू के हैं तो आठ माह दवा देनी चाहिए.