बिहारशरीफ : बिहार की पावन धरा कई महापुरुषों व संतों का जन्म हुआ है. इसी भूमि पर आचार्य चाणक्य व आर्यभट जैसे विद्वान व वैज्ञानिक पैदा हुए. दुनिया के कई हिस्सों में लोग पढ़ना-लिखना नहीं जानते थे, उस समय नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र हुआ करता था. उक्त बातें बिहार दिवस को लेकर प्रभात खबर द्वारा शुक्रवार को आयोजित परिचर्चा में शहर के बुद्धिजीवियों ने कहीं. वक्ताओं ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में आर्यभट जैसे विद्वान और वैज्ञानिक थे.
बिहार की इसी भूमि पर अशोक, अजातशत्रु, बिंबिसार, जरासंध जैसे सम्राट थे. आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह का जन्म यहीं हुआ था. आज भी भारत में सबसे अधिक आईएएस बिहार से ही निकलते हैं. दुर्भाग्यवश आज बिहार की गिनती देश के पिछड़े और
अतीत की प्रेरणा…
गरीब राज्यों में होती है. इस राज्य में साक्षरता दर अन्य राज्यों से कम है, रोजगार न मिलने से लोग पलायन कर रहे हैं. इसके बावजूद आज बिहार आर्थिक क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
वक्ताओं ने कहा कि बिहार की अधिकांश आबादी कृषि पर आश्रित है. किसानों की स्थिति में सुधार के लिए कृषि को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और कृषि उत्पादों का उचित मूल्य मिलना जरूरी है. फूड प्रोसेसिंग उद्योग की काफी संभावनाओं का उल्लेख करते हुए वक्ताओं ने कहा कि इससे एक ओर जहां युवाओं को रोजगारी मिलेंगे, वहीं किसानों की स्थिति सुधरेगी. किसानों को स्टेक होल्डर बनाकर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सकता है.
पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन सकता है बिहार
वक्ताओं ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला व ओदंतपुरी जैसे विश्वविद्यालयों के माध्यम से पूरी दुनिया में ज्ञान फैला . जैन धर्म, बौद्ध धर्म व सिख धर्म की पवित्र भूमि बिहार में है. दुनिया में पहली बार गणतांत्रिक शासन प्रणाली बिहार के वैशाली से शुरू हुआ. उसे आज भी लिच्छवी गणतंत्र के नाम से जाना जाता है. गंगा के पानी को अमृत माना जाता है. हिंदू पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाली फल्गु नदी भी यही है. यहां पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं हैं. बिहार बौद्ध, जैन, सिख व हिंदू धर्मालंबियों का प्रमुख पर्यटन केंद्र तो है ही, ऐतिहासिक स्थलों में दिलचस्पी रखने वाले पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन सकता है.
पैदा करनी होगी विकास की सोच : वक्ताओं ने कहा कि बिहार में संभावनाओं की कोई कमी नहीं है. जरूरत इस बात की है कि हमें अदूरदर्शी व स्वार्थपरक नीतियों को त्याग कर बिहार के विकास की सोच पैदा करनी होगी. तमाम संभावनाओं के बावजूद हमारा बिहार पिछड़ा है, इस कलंक को मिटाने के लिए हमें एकजुट प्रयास करने होंगे, तभी हमारा बिहार समृद्ध बिहार बन सकेगा. परिचर्चा में महेंद्र कुमार विकल, लक्ष्मीकांत सिंह, मनोज कुमार, रंजीत प्रसाद सिंह, रवि प्रकाश, अनंत कुमार, महेश पासवान, संतोष कुमार सिंह, समर्थी सुभाष कुमार पाठक, ओंमकार दीक्षित, ध्रुव कुमार सिंह, सद्दाम हुसैन, प्रेमचंद, धर्म गुप्ता, नारों सिंह, रंजीत सिन्हा, प्रमोद कुमार आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये.