बिहारशरीफ : जिले के मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों की पदस्थापना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ है. जिला प्रारंभिक प्रोन्नति समिति, नालंदा ने सारे नियमों को ताक पर रखते हुए लॉटरी सिस्टम से जूनियर प्रधानाध्यापक को सीनियर बनाकर पदस्थापित करा दिया. वहीं, सीनियर प्रधानाध्यापक को जूनियर बना दिया गया. इतना ही नहीं,
अधिसंख्य जूनियर प्रधानाध्यापकों को लॉटरी के माध्यम से डीडीओ और सीआरसी की कुर्सी पर बैठा दिया गया. नतीजतन जब मामला हाईकोर्ट में पहुंचा, तो शिक्षा विभाग के सचिव आरके महाजन को हाईकोर्ट में जिला शिक्षा विभाग, नालंदा की कारस्तानी के कारण शर्मिंदगी झेलनी पड़ी. अंतत: शिक्षा विभाग, बिहार सरकार, पटना के प्रधान सचिव श्री महाजन को पटना हाईकोर्ट में शपथपत्र देना और कहना पड़ा कि लॉटरी सिस्टम से प्रधानाध्यापकों की पदस्थापना का कोई नियम उनके विभाग में नहीं है.
प्रधान सचिव ने जिला शिक्षा विभाग को कड़ा पत्र जारी कर इस पदस्थापना को अविलंब रद्द करते हुए वरीयता क्रम के आधार पर प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति कर हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है. बावजूद शिक्षा विभाग लॉटरी सिस्टम से प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति किये जाने की जिद पर अब भी अड़ा हुआ है. यानी यूं कहें कि अपने विभाग के प्रधान सचिव व हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करने से सीधा इन्कार कर रहा है.
अब तक इस मामले में जिला शिक्षा विभाग नालंदा ने कोई कार्रवाई नहीं की है. यह मामला तब उजागर हुआ, जब जिला प्राथमिक शिक्षक संघ, नालंदा के प्रधान सचिव महर्षि पटेल ने सीनियर प्रधानाध्यापकों के साथ हुए भेदभाव के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सीडब्ल्यूजेसी संख्या 19790, वर्ष 2016 को एक याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने इसकी सुनवाई करते हुए इस मामले में पाया कि सीनियर प्रधानाध्यापकों के साथ जिला शिक्षा विभाग, नालंदा ने ज्यादती की है.
जब हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन को कोर्ट ने जवाब देने को कहा, तब श्री महाजन ने भी माना कि जिला शिक्षा विभाग, नालंदा द्वारा प्रधानाध्यापकों की पदस्थापना में वरीय प्रधानाध्यापकों के साथ अन्याय किया गया है. उन्होंने कोर्ट में जवाब देते हुए शपथपत्र और जिला शिक्षा विभाग, नालंदा को निर्देश दिया कि प्रधानाध्यापकों के पद प्रोन्नति के उपरांत उनकी संख्या के अनुपात में प्रखंडवार मध्य विद्यालयों की संख्या को ध्यान में रखकर अनुपातिक रूप से पदस्थापना पर विचार किया जाये. निर्देश में यह भी कहा गया है कि प्रखंड के चिह्नित विद्यालय, जो निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी से संबंधित हों,
के प्रधानाध्यापक का पद यदि रिक्त हो तो वहां पर सर्वप्रथम पदस्थापना किया जाये. साथ ही इसके उपरांत वैसे मध्य विद्यालय, जहां संकुल संसाधन केंद्र अवस्थित हैं और वहां पर प्रधानाध्यापक का पद रिक्त हो, तो वहां पर प्रधानाध्यापक पद पर पदस्थापना की कार्रवाई की जाये और अंत में उन्होंने चौथे बिंदु में निर्देश दिया कि उक्त कंडिकाओं में वर्णित पदस्थापना के सामान्य सिद्धांत के अंतर्गत जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति एक साल के अंदर हो, उनके यथासंभव इच्छित पदस्थापना पर विचार किया जाये.