मुरादाबाद, सहारनपुर व अंबाला में मजदूरी कराने ले जा रहे थे, सभी बच्चे पश्चिम बंगाल के रहने वाले वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर कर्म भूमि एक्सप्रेस से मानव तस्करी के चंगुल से नौ नाबालिग बच्चों को मुक्त कराया गया है. इस मामले में दो मानव तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है. आरपीएफ, जीआरपी व बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से बीते दिनों बुधवार को संयुक्त अभियान के तहत यह कार्रवाई हुई. मिली जानकारी के अनुसार आरपीएफ को गुप्त सूचना मिली थी कि न्यू जलपाईगुड़ी-अमृतसर कर्म भूमि एक्सप्रेस (12407) से कुछ नाबालिग बच्चों को ले जाया जा रहा है. इसके बाद सामान्य कोच में कुछ डरे- सहमे बालकों को देखा गया. पूछताछ में सभी बच्चों ने बताया कि उन्हें मजदूरी कराने मुरादाबाद, सहारनपुर व अंबाला ले जाया जा रहा है. सभी बच्चे पश्चिम बंगाल के अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं. बच्चों ने मानव तस्कर के बैठे होने की जानकारी दी, जिनकी निशानदेही पर दोनों को गिरफ्तार किया गया. शिकायत दर्ज करते हुए मामले को जीआरपी को सौंप दिया गया. ठेकेदार बच्चों को 12 से 15 हजार का लालच देकर वारसोई से मुरादाबाद, सहारनपुर व अंबाला प्लाई मील में मजदूरी का काम करवाने ले जा रहे थे. आरपीएफ इंस्पेक्टर मनीष कुमार के नेतृत्व में, गोकुलेश पाठक, शंभूनाथ साह, रितेश कुमार, लालबाबू खान, जीआरपी से मनोज कुमार सिंह, बचपन बचाओ आंदोलन के सहायक परियोजना अधिकारी जय मिश्रा अभियान में शामिल थे. इन दो मानव तस्कर की हुई गिरफ्तारी मतीउर रहमान, उत्तर दिनाजपुर ( पश्चिम बंगाल ) प्रकाश राजवंशी, उत्तर दिनाजपुर ( पश्चिम बंगाल ) बीते डेढ़ वर्ष में 264 बच्चे मुक्त, 67 मानव तस्कर गिरफ्तार आरपीएफ व जीआरपी के साथ अन्य एजेंसियों के संयुक्त प्रयासों से बीते डेढ़ वर्षों में मानव तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गयी है. आरपीएफ इंस्पेक्टर मनीष कुमार ने बताया कि डेढ़ वर्ष में 264 बच्चों को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया है, और 67 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया है. बता दें कि इन चौंकाने वाले आंकड़ों में सबसे अधिक मामले मुजफ्फरपुर-बेंगलुरु एक्सप्रेस और कर्मभूमि एक्सप्रेस ट्रेनों से जुड़े हैं, जो मानव तस्करी के लिए एक प्रमुख कॉरिडोर बन गयी है. ट्रेनों का इस्तेमाल, तस्करों की पसंदीदा रूट मानव तस्कर गिरोह बच्चों को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने के लिए लंबी दूरी की ट्रेनों का बड़े पैमाने पर उपयोग कर रहे हैं. मुजफ्फरपुर-बेंगलुरु एक्सप्रेस और कर्मभूमि एक्सप्रेस इन गिरोहों के लिए खास तौर पर पसंदीदा रूट बन गयी हैं. ये ट्रेनें बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से चलकर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों तक जाती हैं, जहां बाल श्रम की अधिक मांग होती है.
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