Bihar: मुजफ्फरपुर की पहचान बन चुकी शाही लीची इस बार मौसम की मार से जूझ रही है. मार्च से ही पारा असामान्य तरीके से चढ़ने लगा है, जिससे लीची बागानों में नमी बनाए रखना किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. जहां पहले सिंचाई के लिए 60-70 फीट की बोरिंग काफी होती थी, वहीं अब किसानों को 200 फीट तक बोरिंग करानी पड़ रही है. इससे लागत कई गुना बढ़ चुकी है.
गर्म हवाओं से सूख रहे मंजर, किसानों की बढ़ी चिंता
कांटी प्रखंड के किसान बबलू शाही बताते हैं कि इस बार मार्च में ही गर्म हवाएं चलने लगी थीं, जिससे लीची के मंजर सूखने लगे. लगातार सिंचाई के बावजूद नमी बरकरार नहीं रह पा रही है. उनका कहना है कि अगर यही स्थिति बनी रही तो इस बार फल का आकार और स्वाद दोनों प्रभावित हो सकते हैं.
पुराने बोरिंग बेअसर, लागत से टूट रहा है हौसला
रामप्रवेश चौधरी नामक एक अन्य किसान ने बताया कि पुराने बोरिंग अब पानी नहीं दे रहे, जिससे उन्हें नये बोरिंग कराना पड़ा. बिजली की अनियमित आपूर्ति ने भी परेशानी बढ़ा दी है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि लीची फसल का कोई बीमा नहीं मिलता, जिससे प्राकृतिक आपदा की स्थिति में पूरी लागत डूबने का खतरा है.
तापमान का रिकॉर्ड तोड़ इजाफा, वैज्ञानिक भी चिंतित
मौसम विभाग के आंकड़े भी किसानों की चिंता को जायज ठहराते हैं. इस बार मार्च में अधिकतम तापमान 34 डिग्री और अप्रैल की शुरुआत में 38 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो पिछले साल की तुलना में 2-3 डिग्री अधिक है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अधिक गर्मी के कारण फल में पानी की मात्रा कम हो सकती है, जिससे स्वाद और बाजार मूल्य दोनों पर असर पड़ेगा.
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सरकारी मदद की दरकार, वरना फीकी पड़ सकती है मिठास
इस हालात में जरूरत है कि सरकार किसानों को सब्सिडी आधारित बोरिंग सुविधा, लीची बीमा योजना और वैकल्पिक सिंचाई संसाधनों की व्यवस्था करे ताकि शाही लीची की मिठास गर्मी में भी बरकरार रह सके.