वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर जिले के निजी लैब, अस्पताल और अल्ट्रासाउंड केंद्रों से बायो-मेडिकल कचरे का उठाव नहीं हो रहा है. जुरन छपरा में ऐसा ही नजारा देखने को मिला. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने निरीक्षण के दौरान जगह-जगह कचरा बिखरा पाया, जिसकी रिपोर्ट सिविल सर्जन (सीएस) को सौंपी गई. इसके बाद 179 सरकारी और निजी अस्पतालों, क्लीनिकों, आयुर्वेद, होमियोपैथी केंद्रों और पैथोलॉजी लैब को नोटिस जारी किया गया. नोटिस प्राप्तकर्ताओं को 10 दिनों में जवाब देना है. विशेषज्ञों के अनुसार, बायो-मेडिकल वेस्ट को इधर-उधर फेंकने या जलाने से पेट और सांस संबंधी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. नियमों के तहत सभी अस्पतालों और क्लीनिकों को बायो-मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल के लिए अधिकृत कंपनियों से अनुबंध करना अनिवार्य है, लेकिन ज्यादातर संस्थान इसकी अनदेखी कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में सामने आया कि कई अस्पतालों ने ऐसी कंपनियों से अनुबंध ही नहीं किया है. अधिकारियों ने बताया कि अनुबंध नहीं करने वाले अस्पताल वेस्ट को गलियों और मोहल्लों में फेंक रहे हैं या जला रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है. कई क्लीनिक पैसा बचाने के लिए केवल आधा वेस्ट ही कंपनियों को सौंपते हैं, बाकी को खुले में फेंक देते हैं. नियमों के अनुसार, अस्पतालों, क्लीनिकों और लैब से निकलने वाले शत-प्रतिशत मेडिकल वेस्ट का उचित निपटान करना अनिवार्य है. गली-मोहल्लों में संचालित क्लीनिकों के आसपास बिखरा मेडिकल वेस्ट इस लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण है.
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