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Muzaffarpur News: मौसम ने साथ दिया तो अच्छी होगी फसल, लीची की अच्छी पैदावार के लिए पेड़ों में लगा रहे प्लास्टिक का कवर

Muzaffarpur News: किसानों को मिट्टी में उर्वता बढ़ाने के लिए जैविक खाद का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है. इससे पौधों की वद्धि और गुणवत्ता में सुधार होगा. जैविक खाद के उपयोग से मिट्टी की सरंचना में सुधार होगा, जो लंबे समय तक फसल उत्पादन में सहायक होगा.

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Muzaffarpur News: ऐसे तो प्लास्टिक पर्यावरण के लिये खतरा माना जाता है, लेकिन लीची की फसलों के लिये यह प्लास्टिक खासा उपयोगी साबित हो रहा है. अच्छी फसल के लिये किसान पेड़ों को प्लास्टिक के थैले से कवर कर रहे हैं. इससे लीची की फसल अच्छी होगी. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के रिसर्च के बाद किसानों को यह सलाह दी गयी है. इस बार किसान अपने लीची के फलों में प्लास्टिक का उपयोग कर रहे हैं. माना जा रहा है कि पिछली बार स्टीम बग के कारण जो 30 फीसदी लीची खराब हो गयी थी, वह प्लास्टिक के थैले के उपयोग से बच जायेगी.

स्वाद की गुणवत्ता भी बरकरार रहेगी

लीची अनुसंधान केंद्र अच्छी पैदावार के लिए किसानों को ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दे रहा है. बीते पांच साल में छह हजार किसानों का प्रशिक्षित किया जा चुका है. लीची की फसल को बचाने के लिए फल आने से पहले प्लास्टिक की थैली से ढक दिया जाता है. इससे लीची का फलन भी अच्छा होगा और स्वाद की गुणवत्ता भी बरकरार रहेगी. इससे बाजार में मांग में बढ़ेगी.

क्या लक्ष्य है

पिछले साल दिसंबर में तापमान अधिक होने के कारण लीची का मंजर कम आया, लेकिन जनवरी में अनकूल तापमान के कारण लीची के अच्छे मंजर आये. मार्च और अप्रैल में तापमान में अधिक बढ़ोतरी नहीं हुई तो लीची के अच्छे फलन की उम्मीद की जा रही है. बिहार में तीन लाख टन लीची प्रोडक्शन का लक्ष्य रखा गया है. किसानों को लीची के बाग में मधुमक्खी का बक्सा रखने की भी सलाह दी जा रही हे. इससे फलन अच्छा होगा. वैज्ञानिकों के अनुसार फिलहाल कीटनाशक का उपयोग नहीं करना है. इससे मधुमक्खी को परेशानी होगी. फल बढ़ने पर कीटनाशक का स्प्रे करना चाहिये. जिंक और बोरोन का स्प्रे फिलहाल किया जा सकता है. फंगीसाइट का स्प्रे भी किसान कर सकते हैं.

क्या बोले निदेशक

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ विकास दास ने कहा कि लीची की फसल बेहतर कैसे हो, इसके लिये किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. प्लास्टिक के थैले से फल आने से पहले लीची को कवर किया जा रहा है. इससे फसल अच्छी होगी. किसानों को आधुनिक तरीके से खेती की सलाह दी जा रही है. इसके लिए लीची अनुसंधान केंद्र की ओर से ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है.

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