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गरीबनाथ मंदिर के दान पेटी में गल गए भक्तों की आस्था के लाखों के नोट, एक लाख 22 हजार के मिले सिक्के

गरीबनाथ मंदिर में तीन महीने बाद खुली दान पेटी, नोट गलकर बंडल में बदल चुके थे, 31 हजार के नोट सुरक्षित मिले, एक लाख 22 हजार के सिक्के मिले

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मुजफ्फरपुर के गरीबनाथ मंदिर में भक्तों की आस्था के लाखोंं के नोट पानी से गल कर बर्बाद हो गये. इनमें पांच सौ से लेकर पांच रुपये तक के नोट थे. पिछले तीन महीने से दान पेटी में रखे रहने और उसमें पानी गिरने के कारण नोट गल गये थे. मंगलवार को जब मजिस्ट्रेट की मौजदूगी में दान पेटी खोली गयी तो काफी संख्या में गले हुये नोट मिले. कुछ नोट पर लिखा 500 या 200 रुपया दिख भी रहा था, लेकिन अधिकतर नोट गल कर पुलिंदा बन गया था. कितने लाख के नोट बर्बाद हुये, इसका आकलन न्यास समिति के पदाधिकारी भी नहीं लगा सके.

देर शाम तक नोटों की हुई गिनती में 31 हजार के नोट सही सलामत अवस्था में मिले. इसके अलावा एक लाख 22 हजार के सिक्के दान पेटी से निकले. समिति के कोषाध्यक्ष पुरेंद्र प्रसाद ने कहा कि गले हुए नोटों का आकलन करना मुश्किल है. बहुत सारे नोट आपस में सटकर कागज का पुलिंदा बन चुके हैं, जिस कारण कितने नोट बर्बाद हुए हैं, यह नहीं कहा जा सकता.

पहले भी गल कर बर्बाद हो चुके हैं लाखों के नोट

इससे पहले भी पिछले वर्ष 30 दिसंबर को दान पेटी खोली गयी थी तो लाखों के नेाट गले मिले थे. इतना ही नहीं, 4 जून, 2022 को भी जब दान पेटी खोली गयी थी तो लाखों के नोट गले मिले थे. हैरानी की बात है कि बार-बार इतने नोटों के गलने के बाद भी न्यास समिति भक्तों की आस्था के रुपये को बचाने की कोशिश नहीं करता है. गला हुआ रुपया भक्तों की आस्था पर एक चोट है. यह न तो मंदिर के विकास के काम में आता है और न ही इस राशि से समाज सेवा के क्षेत्र में कोई काम हो पाता है.

भक्तों की मेहनत की राशि यूं ही बर्बाद हो जाती है. जब बार-बार नोट दान पेटी में गल जाते हैं तो न्यास समिति दान पेटी को ऐसी जगह पर क्यों नहीं रखता, जहां उसका पानी से सपंर्क नहीं हो पाये. एक दिन पूर्व की बैठक में न्यास समिति ने यह निर्णय लिया था कि अब हर महीने दान पेटी खुलेगी, लेकिन एक महीने के अंदर नोट सुरक्षित रहेगा या नहीं, यह कहना मुश्किल है.

प्रभात अपील : भक्तों की भावनाओं का ख्याल रखे समिति

प्रभात खबर मंदिर न्यास समिति से यह अपील करता है कि दान पेटी के नोट का सही तरीके से रखा जाये, जिससे नोट गल कर बर्बाद नहीं हो. ऐसा बार-बार हो रहा कि दान पेटी खोले जाने पर नोट गले मिलते हैं. इसके बावजूद न्यास समिति इस पर संज्ञान नहीं लेता. भक्त बाबा गरीबनाथ के प्रति आस्था के कारण अपनी मेहनत के रुपये को चढ़ावा में डालते हैं. उनकी सोच रहती है कि उनके रुपयों से मंदिर का विकास हो, नोटों के गलने से उनकी भावनाएं आहत होती है. गला हुआ रुपया यूं ही बर्बाद चला जाता है. न्यास समिति को इसके लिए बेहतर प्रबंधन करने की जरूरत है.

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