एसकेएमसीएच में डॉक्टर व मरीज में हुआ था विवाद
जांच के लिए बनायी गयी पांच सदस्यों वाली कमेटी
डीएम गंभीर, एडीएम की अध्यक्षता में बनी कमेटी
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टरों व मरीजों के परिजनों के बीच सद्भाव, भरोसा और विश्वास बनाये रखने के लिए प्रशासन का प्रयास जारी है. 3 दिसंबर को परिसर में डॉक्टर व मरीज के परिजनों के बीच हुई मारपीट की घटना को गंभीरता से लेते हुए डीएम सुब्रत कुमार सेन ने तत्काल जांच समिति का गठन कर रिपोर्ट देने को कहा है. अस्पताल प्रबंधन व जिला प्रशासन का कहना है कि मरीजों के लिए इलाज की सुगम व्यवस्था सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता है. अस्पताल के भीतर शांतिपूर्ण माहौल और आपसी विश्वास को बनाये रखना अनिवार्य है, ताकि किसी भी मरीज को उपचार में असुविधा न हो और डॉक्टरों को भी उनके काम के निर्वहन में बाधा खड़ी न हो. विवाद के बाद दोनों पक्षों ने थाने में एक-दूसरे के विरुद्ध आवेदन दिया था. मामले में एसएसपी ने डीएम से दिशा-निर्देश का अनुरोध मांगा था. इसपर डीएम ने एडीएम को विभागीय जांच के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन करने को कहा. इसमें पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण), अधीक्षक एसकेएमसीएच, एसडीओ पूर्वी व एसडीपीओ नगर टू शामिल हैं. डीएम ने समिति सदस्यों को घटनास्थल की परिस्थितियों, मारपीट की वजह, दोनों पक्षों की ओर से लगे आरोप व अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. इस समिति को निर्देश दिया गया है कि घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसी स्थिति नहीं बनें.कटरा के मरीज की मौत के बाद घटना
कटरा थाना क्षेत्र के भवानीपुर निवासी प्रकाश कुमार अपने पिता राजगीर पासवान के इलाज के लिए तीन दिसंबर को एसकेएमसीएच लाए थे. इलाज के क्रम में उनकी मृत्यु हो गयी. इसके बाद मृतक के परिजन व डॉक्टर के बीच विवाद उत्पन्न हो गया. आरोप है कि स्थिति इतनी बिगड़ गयी कि दोनों पक्षों के बीच मारपीट हुई. प्रकाश कुमार ने डॉक्टर के विरुद्ध अस्पताल परिसर स्थित ओपी में मामले से संबंधित आवेदन दिया, जबकि डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों ने प्रकाश कुमार सहित 8–10 लोगों के विरुद्ध एसकेएमसीएच अधीक्षक के माध्यम से भी ओपी में आवेदन देकर कानूनी कार्रवाई की मांग की. दोनों मामले दर्ज हो चुके हैं.
अस्पताल इलाज के लिए है विवाद के लिए नहीं
डीएम ने इस मामले में स्पष्ट रूप से कहा है कि स्वास्थ्य संस्थान में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या तनावपूर्ण स्थिति स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अस्पताल मरीजों के इलाज, देखभाल और सेवा के लिए है, न कि विवाद और तनाव का स्थान बनाने के लिए. मामले में निष्पक्ष जांच हो ताकि दोषी पक्षों पर कार्रवाई की जा सके. मरीजों के लिए बेहतर इलाज, स्वच्छ वातावरण, सुरक्षा व सहज सेवाएं उपलब्ध कराना सर्वोपरि है. डॉक्टरों और नर्सिंग कर्मियों को बिना किसी भय या दबाव के सेवा देने का वातावरण उपलब्ध कराना भी उतना ही जरूरी है. प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अस्पताल में अशांति या अव्यवस्था फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध सख्त कदम उठाए जायेंगे.अस्पताल द्वारा किये गये सुधार
अस्पताल प्रबंधन द्वारा हाल के दिनों में ओपीडी में व्यवस्था सुदृढ़ किया गया. वहीं सुरक्षा गार्डों की संख्या भी बढ़ायी गयी है. मरीज-डॉक्टर संवाद को बेहतर बनाने पर जोर दिया जा रहा है. जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद कई अन्य सुधारात्मक कार्य किये जायेंगे. अस्पताल परिसर में सुरक्षा, व्यवस्था व पारदर्शिता को और बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जायेंगे. प्रशासन का लक्ष्य है कि अस्पताल में मरीजों का भरोसा व डॉक्टरों की कार्य-सुविधा दोनों सुरक्षित रहें.
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