मुजफ्फरपुर: एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम से सीरियस बच्चों को इलाज के लिए गोरखपुर मेडिकल कॉलेज भेजा जाएगा. वहां इलाज के अलावा जांच के अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं. वहां के प्रबंधन ने इसके लिए स्वीकृति दे दी है. वे हर संभव सहयोग के लिए तैयार हैं.
यह बातें डीएम अनुपम कुमार ने गुरुवार को प्रेस वार्ता में कही. उन्होंने कहा कि पीड़ित बच्चों का इलाज सरकारी खर्चे पर होगा. एइएस से बचाव के लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 3600 वैक्सीनेटर घर-घर जाकर लोगों को बीमारी से बचाव की जानकारी दे रहे हैं. साढ़े सात लाख हैंड बिल ग्रामीणों में वितरित किया जा रहा है. वैक्सीनेटर ग्रामीणों को बचाव के लिए जरूरी बातें बता कर उन्हें हैंडबिल दे रहे हैं. प्रत्येक पीएचसी में मोबाइल टीम का गठन किया है. वे गांवों में घूम कर ग्रामीणों को बचाव के लिए जागरूकता पैदा कर रहे हैं.
डीएम ने कहा कि नर्सिग होम को भी इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है. उन्हें यह निर्देश दिया गया है कि वे बीमार बच्चों का इलाज करें. सारे खर्च को जिला प्रशासन वहन करेगी. उन नर्सिग होम का निरीक्षण करने के लिए एक टीम भी बनायी गयी है. जो रोज जाकर निरीक्षण करेगी. प्रखंड मुख्यालय में बैठक कर मुखिया व सरपंच सहित अन्य जन प्रतिनिधियों को जागरूकता की जानकारी दी गई है. पीएचसी में एक अतिरिक्त एंबुलेंस की व्यवस्था की गयी है.
अभी पीड़ित बच्चों में जिले से ज्यादा वैशाली व शिवहर के हैं. उन जिलों के डीएम को पत्र लिख कर वहां भी ऐसी ही व्यवस्था शुरू करने का आग्रह किया गया है, जिससे जिले पर भार कम पड़े. इसके अलावे बीडीओ को निजी वाहन मालिकों के मोबाइल नंबर लेने का निर्देश दिया गया है. ताकि जरूरत पड़ने पर उन गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा सके.
डीएम ने कहा कि एइएस के संदर्भ में भ्रम की स्थिति न हो, इसके लिए सिविल सजर्न नोडल प्रभारी बनाये गये हैं. जिले में एइएस के मरीजों के बारे में वही जानकारी देंगे. प्रेस वार्ता में सिविल सजर्न डॉ ज्ञान भूषण व डीपीएम आसीत रंजन मौजूद थे.