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सरकारी व निजी अस्पताल में डायरिया से पीड़ित 115 बच्चे भर्ती हुए

115 children suffering from diarrhea were admitted

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण वायरल फीवर के बाद बच्चे डायरिया की चपेट में आ रहे हैं. एसकेएमसीएच, एमसीएच और निजी अस्पतालों का चाइल्ड वार्ड इन दिनों फुल के कगार पर हैं. एमसीएच के 28 बेड के इस वार्ड में 20 से अधिक बच्चों को भर्ती किया गया है. डॉक्टर इलाज के साथ-साथ बचाव के लिए सुझाव भी दे रहे हैं. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ चिन्मयी शर्मा का कहना है कि परिजन इस मौसम में आठ वर्ष तक के बालक-बालिकाओं की सेहत का ख्याल रखें. खानपान पर ध्यान दें और किसी तरह की दिक्कत हो तो लापरवाही न करें, बल्कि डॉक्टर को दिखाये. जिले में उमस भरी गर्मी बच्चों की सेहत पर विपरीत असर डाल रही है. बड़ी संख्या में बच्चे डायरिया की चपेट में आ रहे हैं. निजी अस्पताल में भी बच्चे वार्ड में भर्ती हो रहे हैं. एसकेएमसीएच के वार्ड में अधिक बीमार बच्चों को भर्ती किया गया है. रविवार को एमसीएच व एसकेएमसीएच केजरीवाल अस्पताल में डायरिया से पीड़ित 115 बच्चे भर्ती कराए गए, जबकि एमसीएच में पहले से वार्ड में 25 से अधिक बच्चे भर्ती किए गए थे. बीमार बच्चों की संख्या बढ़ने से बेड की संख्या कम पड़ने की संभावना जतायी जा रही हैं. इसके अलावा शिशु विभाग की ओपीडी में इन दिनों 200 से अधिक बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. विशेषज्ञ ने बताया कि डायरिया, तेज बुखार, झटके आना, पेट दर्द आदि लक्षण वाले बच्चे को लेकर परिजन उपचार कराने पहुंच रहे हैं. हर दिन ओपीडी में 50 से अधिक डायरिया वाले बच्चे मिल रहे हैं. दवा इलाज करने के साथ ही परिजनों को बचाव की जानकारी भी दी जा रही है.

डायरिया के लक्षण :

डायरिया के लक्षणों में पेट दर्द शामिल है. यह दर्द लगातार या छिटपुट हो सकता है. इसकी तीव्रता अलग-अलग हो सकती है. अगर कोई बैक्टीरिया-संबंधी या वायरल इन्फेक्शन पेट और इन्टेस्टाइन को प्रभावित कर रहा है, तो पेट में दर्द के साथ अन्य लक्षण भी होंगे जैसे मितली, उल्टी, डायरिया, बुखार, धंसी हुई आंखें, पेशाब करने की आवृत्ति में कमी या तीन घंटे से ज़्यादा समय के लिए सूखे डाइपर्स शिशुओं में सिर के अगले हिस्से (जिसे तालू कहा जाता है) में धंसा हुआ कोमल स्थान, जब बच्चा रोता है तो आंसू नहीं आते, सूखी या चिपचिपी श्लेष्मा झिल्ली (मुंह या जीभ का किनारा), सुस्ती (सामान्य से कम गतिविधि), चिड़चिड़ापन (ज़्यादा रोना, रोने के साथ घबराहट), 102 डिग्री एफ से ज़्यादा तेज़ बुखार, होंठ, मुंह और जीभ सूखना, खून भरा या काला मल, गंभीर उल्टी, त्वचा के लचीलेपन में कमी, दिल की धड़कन सामान्य से तेज़ होना जैसे लक्षण दिखते हैं.

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Kumar Dipu
Kumar Dipu
I am working as a senior reporter at Prabhat Khabar muzaffarpur. My writing focuses on health, political, social, and current topics.

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