मुजफ्फरपुर: रमजान का 14वां रोजा लोगों ने पूरी इबादत से बिताया. दूसरे अशरे के अनुसार अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगी गयी. सुबह सेहरी के बाद से ही लोग इबादत में डूब गये. दिन भर रोजा के बाद शाम में इफ्तार की गयी. उसके बाद नमाज व तरावीह पढ़ी जा रही है. रोज पांचों वक्त […]
मुजफ्फरपुर: रमजान का 14वां रोजा लोगों ने पूरी इबादत से बिताया. दूसरे अशरे के अनुसार अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगी गयी. सुबह सेहरी के बाद से ही लोग इबादत में डूब गये. दिन भर रोजा के बाद शाम में इफ्तार की गयी. उसके बाद नमाज व तरावीह पढ़ी जा रही है. रोज पांचों वक्त की नमाज के बाद रोजेदार अल्लाह की इबादत में लग गये. चौक-चौराहों पर भी जश्न का माहौल है.
रंग-बिरगी रोशनी से कई इलाके देर रात तक जगमगा रहे हैं. देर रात तक जग कर लोग कुरान शरीफ की तिलावत कर रहे हैं. मौलाना कहते हैं कि रमजान के 21, 23, 25, 27 व 29 रोजे को अल्लाह की इबादत का विशेष दिन होगा. इस दिन अल्लाह रोजेदारों की गुनाही की माफी करते हैं. इस दिन जो अल्लाह की इबादत में रात भर बिताता है. उसके सारे गुनाह माफ हो जाते हैं. रोजेदारों ने विशेष इबादत के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है.
अहले इमान रोजेदारों को माहे रमजान की 21, 23, 25, 27 व 29 तारीख की रातों में शबेकदर की तलाश करनी है. इन तारीखों में किसी एक तारीख को निश्चित व स्पष्ट रूप से शबेकदर घोषित नहीं करने में हिकतमते खुदावदी यह है कि लोग इस बात पर भरोसा न कर बैठे कि हम ऐसी रात में इबादत कर चुके जो हजार महीनों में अफजल है. हमारी मगफिरत हो गयी और दरबारे इलाही में हमको बड़े मरतबे हासिल हो गये व जन्नत भी मिल गयी.
ये ख्याल करके आदमी अपने अमल मे कोताही करता और संतुष्ट होकर बैठ जाता. रमजान में आखिरी अशरा जहन्नम की आग में छुटकारे के पांच विशेष रातों में शबेकदर की तलाश आदमी के अंदर एक उत्सुकता जगाए रखने में मददगार बनती है. यही वजह है कि अहले इमान रोजेदार इन रातों में ज्यादा से ज्यादा इबादत किया करते हैं और इनाम खुदाबंदी पाते हैं.
मौलाना जिया अहमद कादरी
मर्कजी खानकाह आबादानिया व एदारा–ए–तेगिया, माड़ीपुर