12.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

पटना म्यूजियम जल्द दिखेगा नए रूप में, इंटरैक्टिव स्क्रीन पर मिलेगी पाटलिपुत्र के इतिहास की जानकारी

पटना संग्रहालय में आने वाले दिनों में दर्शकों को राज्य का गौरवशाली इतिहास भी देखने को मिलेगा. म्यूजियम में अब आधुनिक और नई तकनीक का उपयोग कर लोगों को बिहार के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराया जाएगा. इसके लिए संग्रहालय का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है.

ऐतिहासिक विरासत को संजोए, आधुनिकता से कदमताल करते हुए पटना फिर से संवर रहा है. दुनिया के सबसे तेजी से विकसित होने वाले शहरों में से एक पटना में कई तरह के विकास कार्य किए जा रहे हैं. इसी क्रम में राज्य के प्राचीन संग्रहालयों में से एक पटना संग्रहालय का भी विकास किया जा रहा है. पटना म्यूजियम में अब आधुनिक और नई तकनीक का उपयोग कर लोगों को बिहार के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराया जाएगा. साथ ही नए इंटरएक्टिव स्क्रीन के माध्यम से राज्य के इतिहास को समझाया जाएगा.

नये रूप में दिखेगा पाटलिपुत्र का इतिहास

पटना संग्रहालय में दर्शकों को ऑडियो और वीडियो के माध्यम से इतिहास के अलग-अलग काल को देखने का अवसर मिलेगा. 158 करोड़ की लागत से बन रही म्यूजियम की बिल्डिंग का काम लगभग पूरा हो चूका है. इसमें छह गैलरियां बन रही हैं, जिसके जरिए गंगा की कहानी से लेकर पाटलिपुत्र के सामाजिक ताने-बाने तक को बयां किया जाएगा. गंगा गैलरी में लोगों को शहर के बनने का इतिहास देखने को मिलेगा.

तिब्बत से लायी गयीं पांडुलिपियां भी की जाएंगी प्रदर्शित

राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लायी गयीं पांडुलिपियां पटना संग्रहालय की खासियत है. इसे भी समय-समय पर म्यूजियम में प्रदर्शित किया जायेगा. साथ ही इसके डिजिटाइजेशन का काम भी शुरू हो गया है. इसका संचालन बिहार संग्रहालय समिति की ओर से होगा. यहां पर रखी दुर्लभ कलाकृतियां और पुरावशेष का संरक्षण बिहार संग्रहालय समिति करेगी.

इंटरएक्टिव स्क्रीन पर मिलेगी जानकारी

पटना संग्रहालय में आने वाले दिनों में दर्शकों को राज्य का गौरवशाली इतिहास भी देखने को मिलेगा. संग्रहालय की प्राकृतिक दीर्घा, राहुल सांकृत्यायन दीर्घा, धातु कला दीर्घा, सज्जा कला, अस्त्र-शस्त्र दीर्घा, पाटलिपुत्र दीर्घा, बुध अस्थि कला दीर्घा समेत अन्य दीर्घाओं में रखी कलाकृतियां, पुरावशेष को डिस्प्ले के जरिये लोगों को दिखाया जायेगा. परिसर में मौजूद देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से जुड़ी चीजें भी दर्शकों को देखने को मिलेगी. संग्रहालय में बच्चों और अन्य दर्शकों को बेहतर तरीके से इतिहास को समझने के लिए इंटरएक्टिव स्क्रीन लगाया जायेगा. इस इंटरैक्टिव स्क्रीन पर म्यूजियम में मौजूद हर कलाकृति के बारे में जानकारी मिलेगी.

जादूघर के नाम से भी जाना जाता है पटना संग्रहालय

पटना संग्रहालय को राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जादूघर के नाम से जाना जाता है. यहां उन पशु-पक्षियों और विलक्षण वन्यजीवों की ममी है, जो या तो लुप्त हो चूके हैं या लुप्तप्राय हैं. यही ग्रामीणों को जादू सा प्रतीत होता है. वर्ष 1912 में बिहार और ओडिशा के बुद्धिजीवियों की एक बैठक के दौरान पटना में एक संग्रहालय की आवश्यकता महसूस की गयी. जिसके बाद 1916 में बिहार के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एडवर्ड ने भी पटना संग्रहालय की स्थापना पर बल दिया. इसके बाद पुरावशेषों का संग्रह शुरू किया गया और उस पुरावशेष को तत्कालीन कमिश्नर के बंगले में रखे जाने लगे. इसके बाद 1917 में पटना हाइकोर्ट के एक भवन में पुरावशेषों को ले जाया गया, लेकिन दुर्लभ वस्तुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होने के कारण वहां जगह की कमी महसूस होने लगी. तब सन 1925 में पटना म्यूजियम की आधारशिला रखी गयी. यह संग्रहालय दिसंबर 1928 में बनकर तैयार हुआ. 7 मार्च 1929 को बिहार और ओड़िशा के तत्कालीन गवर्नर सर हन लैन्स डन स्टीफेंस ने इसका विधिवत उद्घाटन किया. इसका डिजाइन वास्तुकार राय बहादुर विष्णु स्वरूप द्वारा तैयार किया गया है. अभी संग्रहालय के सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा जिसके 31 अगस्त तक पूरा होने की संभावना है. इस कार्य की वजह से संग्रहालय की फिलहाल आम लोगों के लिए बंद किया गया हैं.

टनल से जुड़ेगा पटना म्यूजियम और बिहार संग्रहालय

संग्रहालयों की परिभाषा अब बदल गयी है. पहले के संग्रहालय में खुदाई में मिले वस्तु या मूर्ति रखे जाते थे. एलकीं कोई भी व्यक्ति कितनी बार मूर्ति देखेगा? इस समझ के आधार पर नये संग्रहालय को कला केंद्र के तौर पर विकसित करने की योजना बनी. जल्द पटना संग्रहालय और बिहार संग्रहालय के बीच 1.4 किलोमीटर का लंबा टनल बनेगा. साथ ही कोई भी व्यक्ति यदि बिहार संग्रहालय घूमने आये, तो उसे एक ही टिकट पर पटना संग्रहालय भी देखने का अवसर मिलेगा.

Also Read: बिहार शिक्षा परियोजना में सालों से जमे अभियंताओं का होगा तबादला, शिक्षा विभाग के ACS केके पाठक ने दिये निर्देश

दो संग्रहालयों को जोड़ने वाली भारत की पहली सुरंग

बिहार म्यूजियम को पटना म्यूजियम से जोड़ने वाली 1.4 किमी लंबी भूमिगत सुरंग अपनी तरह की भारत की पहली सुरंग होगी. इसके प्रवेश व निकास भवन में दो तल होंगे और तीन-लेवल का बेसमेंट होगा. भवन में सुरक्षा जांच, सामान लिफ्ट एवं आम जनता के लिए कई सुविधाएं होंगी. अधिकारियों ने बताया कि प्रस्तावित सुरंग पूर्ण रूप से वातानुकूलित होगी और सुरंग के दोनों सिरों पर दो लिफ्ट होंगी. जो लोग पैदल चलकर दूरी तय करना चाहेंगे, उनके लिए सीढ़ियां एवं पैदल पथ होगा. आगंतुकों के सुगम, सुविधाजनक एवं पर्यावरण-अनुकूल आवागमन के लिए सुरंग में बैटरी चालित गोल्फ कार की सुविधा भी होगी. यह सुरंग अग्नि सुरक्षा एवं लोगों के सुरक्षित निकास के लिए सभी सुरक्षा उपायों से युक्त होगी. इसे मेट्रो सिस्टम के साथ जोड़ने एवं संयुक्त टिकट का प्रावधान भी रखा जायेगा, ताकि यह लोगों के लिए सरल एवं सुविधाजनक हो सके.

सुरंग की दीवारों पर प्रदर्शित होंगी कलाकृतियां

यह सुरंग एक आर्ट गैलरी (कला वीथिका) की तरह होगी, जिसमें मधुबनी पेंटिंग्स के द्वारा राज्य की कला, संस्कृति, विरासत, भित्तिचित्र एवं अन्य कलाकृतियों को सुरंग की दीवारों पर प्रदर्शित किया जायेगा. इस तरह ये सुरंग दोनों संग्रहालयों को जोड़ने के अतिरिक्त कला प्रेमियों और अन्य आगंतुकों को भी आकर्षित करेगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel