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18.भारत के गंगा जमुनी संस्कृति के शायर थे जनाब मिर्जा मशकूर बेग

प्रतिनिधि, मुंगेर गंगोत्री के तत्वावधान में गुरुवार को एक संगोष्ठी आयोजित की गयी. इसमें गंगा जमुनी संस्कृति की जुबान जनाब मिर्जा मशकूर बेग के आकस्मिक निधन पर निहायत ही अफसोस जाहिर किया गया. डॉ शिवचंद्र प्रताप ने कहा कि जो अच्छा इनसान नहीं, वह अच्छा साहित्यकार नहीं हो सकता है. अत: फक्र है इस बात […]

प्रतिनिधि, मुंगेर गंगोत्री के तत्वावधान में गुरुवार को एक संगोष्ठी आयोजित की गयी. इसमें गंगा जमुनी संस्कृति की जुबान जनाब मिर्जा मशकूर बेग के आकस्मिक निधन पर निहायत ही अफसोस जाहिर किया गया. डॉ शिवचंद्र प्रताप ने कहा कि जो अच्छा इनसान नहीं, वह अच्छा साहित्यकार नहीं हो सकता है. अत: फक्र है इस बात की कि गंगोत्री के सदस्य मिर्जा बेग इनसान की शक्ल में फरिश्ता थे. यही वजह था कि बेग साहब लाजवाब शायर थे और उनकी शायरी हर शख्स के दिल में सोए हुए इंसान को जगा देने की सलाहित रखती थी. उन्होंने कहा कि जैसे हीरा खुद को हीरा साबित करने की जरूरत नहीं समझता वैसे ही बेग साहब को भी खुद को साबित करने और लोगों पर खुद को थोपने की जरूरत महसूस नहीं करते. उन्होंने कहा कि माधोपुर स्थित शिव मंदिर की स्थापना के दौरान अपनी तकरीर में बेग साहब ने कहा था कि फर्क नहीं है मंदिर और मस्जिद, काबा और रकाशी में, अल्लाह और शिव में. उन्होंने अपने तकरीर द्वारा इस देश की गंगा जमुनी संस्कृति को नुकसान पहुंचाने वाले सत्ताबाज को तमाचा रशीद करते हुए एक गोष्ठी में कहा था कि ” न संभलोगे तो मिट जाओगे, ऐ हिंदुस्तां वालो, तुम्हारी दास्तां तक न होगी दास्तानों में ” . कार्यक्रम के अंत में स्व. मिर्जा मशकूर बेग साहब को जन्नत अता करने के लिए गंगोत्री के तमाम सदस्यों ने श्रद्धांजलि दी. मौके पर शिवनंदन सलिल, ज्योति कुमार सिन्हा, डॉ पूनम रानी, गुरुदयाल त्रिविक्रम, विजेता मुदगलपुरी सहित अन्य मौजूद थे.

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