मधुबनी. साहित्यिक साधना स्थली मधुबनी की मासिक साहित्यिक गोष्ठी केंद्रीय पुस्तकालय में वेदानंद साह की अध्यक्षता व दयाशंकर मिथिलांचली के संचालन में हुइा. पठित रचना की समीक्षा डॉ. विनय विश्व बंधु ने की. कवि गोष्ठी में एक दर्जन से अधिक रचनाकारों ने पाठ किया. कवि गोष्ठी के आरंभ में संस्था के सचिव कवि दयाशंकर मिथिलांचली ने कवि-कयित्रियों का स्वागत किया. स्वतंत्रता दिवस को समर्पित इस गोष्ठी की शुरुआत कवियित्री अनुपम झा की रचना शानों -शौकत से भरी तिरंगा जान है मेरी, तीन रंगों से सजी ये अभिमान है मेरी, यह देश मेरी धड़कन है ने माहौल को देशभक्ति से ओतप्रोत कर दिया. सुनील कुमार झा की रचना जय हिंदुस्तान, जय- जय-जय हिंदुस्तान”””””””” खूब सराही गयी. डॉ. विजय शंकर पासवान की रचना आदमी के भीड़ में मिलता नहीं है आदमी ने वर्तमान परिस्थिति को उजागर किया. अनामिका चौधरी की रचना हे भारत भू तुझे नमन हे, भारत के भाग्य विधाता शत्- शत् नमन ने खूब वाहवाही लूटी. कवि गोष्ठी में रेवती रमण झा, वेदानंद साह, डॉ. विनय विश्व बंधु, दयानंद झा, दयाशंकर मिथिलांचली, उदय जायसवाल की कविताओं ने शमां बांध दिया. अध्यक्षीय संबोधन में वेदानंद साह ने कहा कि यह साधना स्थली एक गुलदस्ता है. जहा तरह-तरह के फूल सजाया जा सकता है. उदय जायसवाल ने धन्यवाद ज्ञापन कर गोष्ठी समाप्ति की घोषणा की.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

