मधुबनी. भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नयी दिल्ली की ओर से भारत में विशेष कर ग्रामीण बिहार में प्राथमिक शिक्षा के उत्थान में मातृभाषा की भूमिका पर मंगलवार को जेएमडीपीएल महिला कॉलेज में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के आयोजकत्व में डॉ. विनय कुमार दास के संचालन में सेमिनार की शुरुआत हुई. कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ, एलएनएमयू के पूर्व डीन डॉ. अनिल कुमार झा, जेएन कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. फुलो पासवान, राजनीति विज्ञान के पीजी हेड डॉ. मुनेश्वर यादव, महिला कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अनिल कुमार चौधरी, डॉ. प्रकाश नायक, अभिषद सदस्य डॉ. अमर कुमार ने संयुक्त रूप किया. पूर्व मंत्री समीर कुमार महासेठ ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा जीवन की नींव होती है. यह वह दौर होता है जब बच्चे केवल पढ़ना लिखना नहीं सिखते, बल्कि वह सोचने समझने और अभिव्यक्त करने की क्षमता को भी विकसित करते हैं. यदि इस प्रक्रिया में भाषा की बाधा हो तो न केवल उनकी शिक्षा प्रभावित होती है बल्कि उनका मानसिक विकास भी बाधित हो सकता है. विशिष्ट अतिथि डॉ. अनिल कुमार झा ने कहा कि छोटे बच्चों को जब शिक्षा अपनी मातृभाषा में न देकर, किसी अपरिचित भाषा में दी जाती है तो वह बच्चा पहले उस भाषा को समझने में संघर्ष करता है और बाद में विषय वस्तु को. नई शिक्षा नीति 2020 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कक्षा 5 तक और यदि संभव हो तो कक्षा 8 तक शिक्षा मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा में ही दी जानी चाहिए. इसका उद्देश्य है कि बच्चों को प्रारंभिक स्तर पर ऐसी भाषा में शिक्षा मिले जो उन्हें सहज रूप में समझ आए. जेएन कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. फूलों पासवान ने कहा कि बच्चों की पहली शिक्षा अपनी मातृभाषा में घर में मिलती है. आगे स्कूल जाने पर उसकी मातृभाषा में पढ़ाई न होकर अन्य भाषा में पढ़ाई की शुरुआत से बच्चों को परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि हर विषय की पुस्तक मातृभाषा में छपनी चाहिए ताकि बच्चे अपनी मातृभाषा में उस विषय का अध्ययन कर सके. प्रधानाचार्य डॉ. अनिल कुमार चौधरी ने कहा कि मातृभाषा में बच्चों की पढ़ाई होने पर उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी. वह जल्दी से विषय का ज्ञान हासिल कर सकते हैं. डॉ. प्रकाश नायक ने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा के महत्व देने के बावजूद इसके क्रियान्वयन में उदासीनता दिखाई देती है. डॉ. अमर कुमार ने कहा कि मातृभाषा आधारित शिक्षा से बच्चों को अपनी बात कहने और समझने में सहजता होती है. सेमिनार को रिसोर्स पर्सन डॉ. निवेदिता कुमारी, डॉ. गंगा प्रसाद, डॉ. सुभद्रा कुमारी, डॉ. वाईएल दास ने संबोधित किया. मौके पर छात्रा स्नेहा सिंह, श्रुति कुमारी, राखी कुमारी, प्रियंका कुमारी ने अपने आलेख प्रस्तुत की. कार्यक्रम में डॉ. अर्चना कुमारी, डॉ. अन्नपूर्णा कुमारी, डॉ. निभा झा, डॉ. भारत भूषण राय, डॉ. अरविंदम कुमार, डॉ. शक्ति कुमारी, डॉ. निवेदिता कुमारी, डॉ. रानी सिंह, डॉ. पुष्प लता झा, डॉ. पूजा कुमारी गुप्ता, डॉ. शिखा कुमारी, डॉ. शिव कुमार पासवान सहित दर्जनों छात्रा मौजूद थी.
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