मधुबनी. जिला मुख्यालय पर आशा कार्यकर्ता व विद्यालय रसोइयों ने प्रदर्शन कर अपनी आवाज बुलंद की. धरना का नेतृत्व बिहार राज्य विद्यालय संघ के कोषाध्यक्ष नरेश पासवान, जिलाध्यक्ष उपेंद्र यादव, सचिव जोगेंद्र यादव, बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ के जिला संयोजक जुली मिश्रा और पिंकी कुमारी ने की. मौके पर भाकपा माले के जिला सचिव ध्रुव नारायण कर्ण, माले युवा नेता मयंक कुमार यादव और नगर संयोजक बिशंभर कामत उपस्थित थे. वक्ताओं ने कहा कि सरकार महिला सशक्तिकरण की ढोल पीटती है. लाखों के संख्या में कार्यरत रसोईया, आशा, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका एवं जीविका दीदियों का न्यूनतम वेतन तक नहीं देती है. सरकार खुद की कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं. आने वाले 9 जुलाई को होने वाले अखिल भारतीय हड़ताल में लाखों महिलाएं सड़क पर उतरेगीं. प्रदर्शनकारियों ने न्यूनतम मजदूरी की गारंटी देने की मांग की. मानदेय में वृद्धि, राज्य कर्मचारी का दर्जा भी शामिल है. आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि समझौते के अनुसार मासिक मानदेय 1 हजार से बढ़ाकर 10 हजार किया जाए. पिछले छह महीनों से लंबित मानदेय का तत्काल भुगतान किया जाए. सेवा निवृत्ति की आयु 65 वर्ष निर्धारित करने एवं सेवानिवृत्ति के समय 10 लाख का पैकेज सुनिश्चित करने की मांग की. आशा कार्यकर्ताओं को 21 हजार मासिक मानदेय की गारंटी, बिहार में केंद्रीय किचेन प्रणाली को खत्म करने, रसोइयों को चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का दर्जा देने, 3 हजार मासिक पेंशन और स्वास्थ्य बीमा की व्यवस्था करने की मांग की. धरना में छेदी पासवान, धीरेद्र लाल कर्ण, राजीव कुमार, नीलम सिंह, अनिल सिंह, दिनेश ठाकुर, इंद्र कुमार, साबित देवी, पुनीता देवी, सोनी देवी, कनक लता, शशी देवी, आमला देवी, काली देवी, चंदा देवी, रिंकी कुमारी, पूनम कुमारी, आदि शामिल थे.
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