मधुबनी.
जिला मुख्यालय सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सोमवार को पारंपरिक तरीके से शांतिपूर्ण वातावरण में मिथिला के प्रसिद्ध दो दिवसीय लोक पर्व जुड़शीतल की शुरुआत हई. सुबह होते ही घर के बुजुर्ग नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पितरों को जलपात्र अर्पण की तैयारी में जुट गये. पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मिट्टी से बने घड़े, ग्लास व लोटा में पवित्र जल भरकर जलपात्र अर्पण करने की रस्म पूरी करायी. फिर सत्तू व गुड़ का आनंद लिया. दोपहर बाद हर घर में बनी पूरी, बड़ी सहित अन्य पकवान का स्वाद लिया. मिथिला की पारंपरिक लोकपर्व जुड़शीतल को लेकर लोगों में गजब का उत्साह दिखा. इस अवसर पर लोगों ब्राह्मण भोजन कराकर पुण्य के भागी बने. जुड़शीतल के अवसर पर शहर सहित जिले के मंदिरों में लोगों ने पूजा-अर्चना भी की. जिसके कारण जिले के शिवालयों व देवी मंदिरों में श्रद्धालु नर-नारियों की भीड़ उमड़ पड़ी. वहीं जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों के देवालयों व देवी मंदिरों में आयोजित भजन-कीर्तन से संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक हो गया है. वहीं कई जगह शितला माता की प्रतिमा बनाकर पूजा की शुरुआत की गयी.धुड़खेल आज
मिथिला के प्रसिद्ध लोकपर्व जुड़शीतल के दूसरे दिन 15 अप्रैल को लोग एक-दूसरे पर मिट्टी व कीचड़ डालकर धुड़खेल खेलेंगे. मिथिला में धुड़खेल खेलने की प्रथा सदियों से चली आ रही है. धुड़खेल के बाद लोग स्ननादि से निवृत्त होकर वासी भोजन ग्रहण करेंगे. पहले धुड़खेल खेलने के दिन शिकार करने का भी प्रचलन था. जो समय के साथ विलुप्त हो गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है