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केंद्रीय टीम ने किया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण

मधुबनी : बाढ़ से मधुबनी में हुई क्षति का सर्वेक्षण करने के लिए श्री राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नई दिल्ली के संयुक्त सचिव रमेश कुमार गंटा के नेतृत्व में 7 सदस्यीय केंद्रीय दल गुरुवार की देर शाम मधुबनी पहुंची. मधुबनी पहुंचने पर सर्वेक्षण टीम के सदस्यों ने जिला अतिथिगृह में जिले के अधिकारियों के साथ […]

मधुबनी : बाढ़ से मधुबनी में हुई क्षति का सर्वेक्षण करने के लिए श्री राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नई दिल्ली के संयुक्त सचिव रमेश कुमार गंटा के नेतृत्व में 7 सदस्यीय केंद्रीय दल गुरुवार की देर शाम मधुबनी पहुंची. मधुबनी पहुंचने पर सर्वेक्षण टीम के सदस्यों ने जिला अतिथिगृह में जिले के अधिकारियों के साथ बैठक कर बाढ़ से हुई क्षति की समीक्षा की.

सर्वेक्षण टीम के सदस्यों ने शुक्रवार को जिले के बेनीपट्टी, जयनगर, नरुआर, झंझारपुर में बाढ़ हुई क्षति का आकलन किया. टीम के सदस्यों ने बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए तटबंध, सड़क, लोगों के गिरे घर व फसल क्षति का भी स्पॉट निरीक्षण किया. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा के क्रम में केंद्रीय टीम के द्वारा नरुआर गांव के समीप स्थित बाढ़ राहत कैंप में बने भोजन का स्वाद भी चखा.
सर्वेक्षण टीम के सदस्यों ने नरुआर गांव में बाढ़ से हुए कटाव स्थल व गोपलखा में हुए कटाव स्थल का बाइक से निरीक्षण किया. सर्वेक्षण टीम ने माना कि जिले के 105 पंचायत संपूर्ण रूप से बाढ़ग्रस्त था. जबकि 130 पंचायत आंशिक रूप से बाढ़ प्रभावित हुआ था. बाढ़ से जिले की 1953432 लोग प्रभावित हुए थे. बाढ़ के पानी में डूबने से 32 लोगों की मौत हो गयी थी. बाढ़ के कारण 14 पशुओं की भी मौत हो गयी थी. केंद्रीय टीम के साथ डीएम शीर्षत कपिल अशोक, सूबे के आपदा विभाग के अवर सचिव रामचंद्रू एवं अन्य पदाधिकारी भी थे.
12 जगहों पर क्षतिग्रस्त हुआ बांध
जिले में आयी प्रलयंकारी बाढ़ के कारण 12 स्थलों पर तटबंध टूट गयी. कमला बलान नदी में पांच जगहों पर, भुतही नदी में एक व महाराजी बांध छह जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसके कारण जिले में बाढ़ की स्थित विकराल हो गयी थी.
647 सड़कें हुई क्षतिग्रस्त
13 जुलाई व उसके बाद आयी बाढ़ ने जिले की 647 छोटी-बड़ी सड़कों को क्षतिग्रस्त कर दिया. जिसमें आरडब्लूडी के 625 व आरसीडी की 22 सड़कें शामिल हैं. जिसके कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आवागमन ठप हो गया था.
राहत की हुई थी व्यवस्था
बाढ़ पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचानेके लिए 283 जगहों पर सामुदायिक किचेन खोले गये थे. पांच जगहों पर राहत शिविर चलाया गया. बाढ़ पीड़ितों के बीच 3052 फूड पैकेट बांटे गये.
56 जगह खोले गये थे मेडिकल कैंप
जिले के बाढ़ प्रभावित जयनगर, झंझारपुर, बेनीपट्टी सहित अन्य अनुमंडलों में बाढ़ पीड़ितों के इलाज के लिए 56 जगहों पर मेडिकल कैंप खोले गये थे. मेडिकल कैंपों में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों ने 20 हजार से अधिक बाढ़ पीड़ितों का इलाज कर उन्हें समुचित दवा दी गयी.
प्रभावित परिवारों को मिली सहायता. बाढ़ के दौरान 35 हजार 288 परिवारों को सिर ढंकने के लिए तत्काल पॉलीथिन की सीट मुहैया करायी गयी. बाढ़ सहायता के रूप में 3 लाख 10 हजार 808 परिवारों को अभी तक छह हजार की राशि का भुगतान खाते के माध्यम से किया गया है.

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