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भागवत कथा को आत्मसात करने से ही कल्याण संभव- कथा व्यास

भागवत कथा को आत्मसात करने से ही कल्याण संभव- कथा व्यास

पुरैनी . पुरैनी के श्रीशंकर गौशाला में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा साप्ताहिक ज्ञान-यज्ञ गुरुवार को कलश शोभायात्रा के साथ शुरू हुई.कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. कथा व्यास ने भागवत कथा श्रवण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसके उपदेशों को जीवन में आत्मसात करने से ही कल्याण संभव है. मानव शरीर दुर्लभ है और इसकी सार्थकता भगवान की कथा सुनने तथा भक्ति करने में है. उन्होंने बताया कि जब जीव पर ईश्वर की कृपा होती है, तभी उसे सत्संग और संतों की संगति प्राप्त होती है. ऐसे अवसर को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए और सत्यकर्म के साथ प्रभु से प्रेम का संबंध जोड़ना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि ईश्वर सर्वव्यापक सत्ता और कर्माध्यक्ष हैं, जबकि जीव कर्म करने के लिए स्वतंत्र है. प्रत्येक कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है, चाहे वह अच्छा हो या बुरा. शास्त्रों के अनुसार मानव जीवन की सार्थकता निष्काम भक्ति में है. मन को नियंत्रित कर परात्मा की प्राप्ति के लिए पुरुषार्थ करना चाहिए. मौके पर आयोजन समिति के अध्यक्ष महेश सर्राफ, सचिव उमेश सहनी, कोषाध्यक्ष श्रवण कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष, गिरधारी लाल चौधरी, निगराणी समिति सदस्य अनिल मेहता, सत्यनारायण दास, राजू पडित, पवन केडिया, नीलाम्बर सहनी, गणेश रजक, संतोष ठाकुर, बसंत सुल्तानियां, सुशील सुल्तानियाँ, सुभाष सहनी, संयोजक निभा भारती शंभू पंडित आदि मौजूद थे.

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