सिंहेश्वर. जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में विश्व एनेस्थीसिया दिवस मनाया गया. विश्व एनेस्थीसिया दिवस के अवसर पर अधीक्षक डॉ नगीना चौधरी, प्राचार्य डॉ दिनेश प्रसाद, उपाधीक्षक प्रिय रंजन भास्कर की उपस्थिति में एनेस्थीसिया विभाग अध्यक्ष डॉ वेणु गोपाल, डॉ अभय कुमार, डॉ मनीषा कुमारी ने डॉक्टर, परिचारिका, श्रेणी ए स्टाफ को आपातकालीन समय में मरीज की जान कैसे बचायी जाती है इसका विश्लेषण कर बताया. मौके पर सीपीआर प्रशिक्षण भी दिया. इसमें डॉ नीरज कुमार, डॉ रूहुल्लाह, डॉ संतोष कुमार, डॉक्टर सतपाल एवं सभी परिचारिका श्रेणी उपस्थित रही. उपरांत एनेस्थीसिया विभाग में प्रोग्राम कर केक काटा गया. अधीक्षक डाॅ नगीना चौधरी ने बताया कि 16 अक्तूबर को विश्व एनेस्थीसिया दिवस इसके महत्व व फायदों के बारे में लोगों को जागरूक करता है. यह दिन एनेस्थीसियोलॉजिस्टों को सलाम करता है और बिना दर्द के सर्जरी के महत्व को बताता है. पहले के समय में सर्जरी बेहद दर्दनाक होती थी. ज्यादातर मामलों में सर्जरी को टालने की कोशिश की जाती थी, क्योंकि मरीज को इस दौरान असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ता था. साल 1846 में एक रोगी पर इथर का इस्तेमाल कर सर्जरी के दौरान उसे बेहोश कर दिया. यह पहली बार हुआ जब किसी सर्जरी के दौरान रोगी को दर्द महसूस नहीं हुआ. इस सफल प्रयोग ने सर्जरी के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी. कई देशों में इस दिन को ””इथर डे”” के नाम से भी जाना जाता है. ऐतिहासिक घटना को याद करने वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज ऑफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट ने विश्व एनेस्थीसिया दिवस की स्थापना की. साल 1903 से हर साल इस दिन को विशेष कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है. मेडिकल प्रोसेस में एनेस्थीसिया का बड़ा महत्व वहीं अस्पताल उपाधीक्षक डाॅ प्रिय रंजन भास्कर ने काहा कि मरीज के आराम, सुरक्षा और बेहतर सर्जिकल रिजल्ट को सुनिश्चित करने में एनेस्थीसिया की बड़ी भूमिका है. इसका उद्देश्य कई मेडिकल प्रोसेस में एनेस्थीसिया के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ साथ इस क्षेत्र में चल रही प्रगति को उजागर करना है, जो विश्व स्तर पर मैरिज के केयर को बनाना जारी रखता है. उन्होंने कहा यह दिन हमें याद दिलाता है कि एनेस्थीसिया कितना जरूरी है और इन डॉक्टरों ने स्वास्थ्य सेवा में कितना बड़ा योगदान दिया है. कैंसर के उपचार में एनेस्थीसिया की भूमिका बड़ी उपाधीक्षक ने कहा कैंसर के उपचार में भी एनेस्थीसिया कि बड़ी भूमिका रहती है. सर्जरी भले ही कितनी ही छोटी हो, लेकिन इस दौरान होने वाले दर्द से बचने के लिए डॉक्टर विशेष दवा का इस्तेमाल करते हैं, जिसे एनेस्थीसिया कहते हैं. यह दवा मरीज के शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचती है और मस्तिष्क तक जाने वाले दर्द के संकेतों को रोक देती है. इसके कारण, मरीज को सर्जरी के दौरान कोई दर्द महसूस नहीं होता और वह बेहोश या आंशिक रूप से बेहोश रहता है. एनेस्थीसिया की दवा मरीज के शरीर में दी जाती है, तो यह ब्लड के द्वारा दिमाग तक पहुंचती है. इसके बाद यह दवा उन तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है जो दर्द के संकेतों देती हैं. इससे मस्तिष्क को दर्द के संकेत नहीं मिल पाते और कोई दर्द भी महसूस नहीं होता.
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