उदाकिशुनगंज. उदाकिशुनगंज प्रखंड मुख्यालय के मध्य विद्यालय बालक में बुधवार को कुष्ठ रोग से बचाव को लेकर छात्रों के बीच जागरूकता अभियान चलाया गया. इस दौरान छात्रों के बीच क्विज का आयोजन किया गया. प्रतियोगिता में सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया. वहीं रोग को लेकर चर्चा की गयी,जिसमें बताया कि कुष्ठ बीमारी कैसे फैलती है तथा इसका हमारे समाज में क्या दुष्परिणाम देखने को मिलता है. इसी कड़ी में बच्चों को बहुत ही सरल तरीके से बताया गया की शरीर के किसी भी भाग में ऐसा दाग जो जन्म के बाद हुआ हो एवं उसमें दर्द एवं खुजली ना होता हो तो यह कुष्ठ बीमारी का लक्षण हो सकता है. ऐसी स्थिति में संबंधित व्यक्ति को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर उपचार कराना चाहिए. इससे पूर्ण रूप से बीमारी ठीक हो जाता है. पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ रूपेश कुमार के निर्देशन में डाॅ अंकित सौरभ, कुष्ठ विभाग के पीएमडब्लू अशोक कुमार राज ने छात्रों को कुष्ठ रोग के लक्षण और इसके इलाज के बारे में छात्रों के साथ जानकारी साझा किया. मौके पर डाॅ अंकित सौरभ ने कहा कि कुष्ठ अब लाइलाज बीमारी नहीं रह गया है. यदि पहचान होने पर समय पर इसका इलाज करा लिया जाए, तो लोग रोगमुक्त हो सकता है. उन्होंने कहा कि लक्ष्ण दिखायी देने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेना चाहिए. इसका इलाज सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में होता है. कुष्ठ रोग के लक्षण – डाॅ अंकित सौरभ के मुताबिक कुष्ठ रोग के लक्षण और संकेत अलग-अलग हो सकते हैं. रोग के प्रकार और अवस्था पर निर्भर करता हैं. कुष्ठ रोग के कुछ सामान्य लक्षण त्वचा पर घाव या धब्बे जिनमें संवेदनशीलता या सुन्नता कम हो जाती है. मांसपेशियों में कमजोरी या लकवा, विशेष रूप से हाथों और पैरों में होता है. नाक बंद होना या नाक से खून आना. त्वचा का मोटा होना या उसका रंग बदल जाना, विशेष रूप से चेहरे, हाथों और पैरों पर दाग उभरना. परिधीय तंत्रिकाओं का मोटा होना, विशेष रूप से कोहनी और घुटनों में होता है. आंखों की समस्याएं जैसे कि सूखापन, पलकें झपकाना कम होना,(पलकों को पूरी तरह से बंद न कर पाना) या दृष्टि दोष का होना. बुखार और सामान्य अस्वस्थता का अहसास होना बीमारी का लक्षण हो सकता है. इसका कारण वेक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु संक्रमण कुष्ठ रोग का कारण बनता है. यह बीमारी संक्रामक रूप से पीड़ित किसी अनुपचारित व्यक्ति के साथ निकट संपर्क के माध्यम से फैलती है. बैक्टीरिया श्वसन पथ या टूटी हुई त्वचा के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है. लेकिन कुष्ठ रोग अत्यधिक संक्रामक नहीं है, फिर भी कुछ कारक इसके संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकते हैं. दीक्षा पिहूं को मिला प्रथम पुरस्कार कुष्ठ जागरूकता अभियान के तहत छात्रों के बीच क्विज का परिणाम भी सामने आया, जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले दीक्षा पिहूं को दो सौ रुपया. द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले अंकित कुमार को डेढ सौ रुपया और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले रिषभ कुमार को एक सौ रुपया का पुरस्कार दिया गया. मौके पर प्रधानाध्यापक कुमारी शोभा साहू के हाथों प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया.
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