तेज रफ्तार, शराबखोरी व लापरवाही से हर दिन हो रही दुर्घटनाएं मधेपुरा. शहर सहित आसपास के इलाकों में सड़क दुर्घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. खासकर दोपहिया वाहनों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि अब चिंता का विषय बन गयी है. इन वाहनों के अधिकांश चालक या तो नौसिखिया हैं या फिर बिना ड्राइविंग लाइसेंस के सड़क पर उतर जाते हैं. तेज रफ्तार में बाइक दौड़ाना और ओवरटेक करने की होड़ कई बार उनकी जिंदगी छीन लेती है. हर दिन किसी न किसी सड़क पर हादसा हो ही जाता है. कई मामलों में मौके पर ही मौत हो जाती है, तो कई लोग जिंदगीभर के लिए अपाहिज हो जाते हैं. सड़क हादसों की एक बड़ी वजह जर्जर सड़कें भी हैं. कई जगहों पर गड्ढे इतने गहरे हैं कि तेज रफ्तार में ब्रेक लगाते ही वाहन पलट जाता है. शहर में ट्रैफिक व्यवस्था भी नाम मात्र की रह गयी है. ट्रैफिक जवानों की ड्यूटी तो लगायी जाती है, लेकिन अधिकांश समय वे बस स्टैंड और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में नजर नहीं आते. अधिकारी की गाड़ी गुजरने पर ही अचानक मुस्तैदी दिखती है. नाबालिग चालक व नशाखोरी बन रहे हैं नई समस्या शहर के पश्चिमी बायपास से लेकर कॉलेज रोड तक कई स्थानों पर नाबालिग युवक बिना हेलमेट के बाइक चलाते देखे जाते हैं. कई तो तीन-तीन या चार-चार लोग बैठकर बाइक दौड़ाते हैं. शराबबंदी के बावजूद युवाओं में नशाखोरी बढ़ रही है. शराब और कोरेक्स का सेवन कर बाइक चलाने वाले युवा खुद के साथ दूसरों की जान को भी जोखिम में डाल रहे हैं. अभिभावकों की लापरवाही भी हादसों का बड़ा कारण है. अगर वे अपने बच्चों को सावधानी और नियमों की सीख दें तो कई हादसों को रोका जा सकता है. चार हालिया केस बताते हैं स्थिति की गंभीरता जयपालपट्टी के आनंद- सड़क हादसे में दाहिने हाथ की हड्डी टूट गयी. सुखासन के दिलखुश वर्मा – सिर में गंभीर चोट लगने पर हायर सेंटर रेफर. भिरखी के मो सन्नी – सिर और हाथ दोनों में गहरी चोट. सुखासन के दुलारचंद ऋषिदेव – हादसे में बुरी तरह घायल होकर हायर रेफर. ——– ट्रिपल राइडिंग या लापरवाही से गाड़ी चलाने वालों की गाड़ियां जब्त की जाती हैं और चालान कर जुर्माना वसूला जाता है. लगातार वाहन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है. फिर भी सड़क पर लापरवाह रफ्तारें थम नहीं रहीं है. अब जरूरत है प्रशासनिक सख्ती के साथ-साथ जन-जागरूकता की, ताकि सड़कें मौत का मैदान बनने से बच सकें. चेतनानंद झा, यातायात डीएसपी
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