चुनाव 2025 मधेपुरा. बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही पूरे प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी है. जिले में इसका असर दिखने लगा है. शहर के मुख्य चौक-चौराहों, सरकारी भवनों और सड़कों के किनारे लगे राजनीतिक बैनर-होर्डिंग को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. नगर परिषद और प्रशासन की टीम सोमवार से ही सक्रिय दिखी. हालांकि अब भी मंगलवार को कुछ जगहों पर नेताओं के पोस्टर और कटआउट लहराते नजर आ रहे हैं, जो आचार संहिता के नियमों की खुली अनदेखी कर रहे हैं. शहर के कॉलेज चौक, समाहरणालय रोड, स्टेशन रोड और मुख्य बाजार के पास तकरीबन सभी बड़े राजनीतिक दलों ने अपने प्रचार बोर्ड हटा लिए हैं. भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनसूराज, जनता दल (यू) और कांग्रेस सहित कई दलों के स्थानीय नेताओं ने अपने बैनर-पोस्टर स्वयं उतरवा लिए. नगर प्रशासन ने साफ निर्देश दिया है कि किसी भी सरकारी भवन, बिजली के खंभे, सार्वजनिक दीवार या सरकारी परिसर में प्रचार सामग्री नहीं लगायी जाय. अब प्रशासन की पैनी नजर सदर एसडीओ ने बताया कि आचार संहिता लागू होते ही सभी दलों को निर्देश जारी किए गए हैं. यदि किसी भी उम्मीदवार या दल द्वारा नियमों का उल्लंघन किया जाता है, तो तत्काल कार्रवाई होगी. टीमों को मोहल्लों और ग्रामीण क्षेत्रों तक निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है. सोमवार को ही नगर परिषद कर्मियों ने दर्जनों पोस्टर हटाए, जबकि कुछ पर कार्रवाई की तैयारी है. 10 अक्तूबर से नामांकन, छह नवंबर को मतदान जिला प्रशासन ने विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है. मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र में नामांकन की प्रक्रिया 10 अक्तूबर से शुरू होगी, जो निर्धारित तिथि तक चलेगी. नामांकन पत्रों की जांच और वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद छह नवंबर को मतदान होगा. मतगणना की तिथि 14 नवंबर तय की गयी है. चुनावी माहौल गर्म, लेकिन दीवार खाली शहर में चुनावी चर्चाएं जोरों पर हैं. राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुट गए हैं, लेकिन फिलहाल सड़कों पर शांति है. दीवारों पर उकेरे गए नारे और प्रत्याशियों के कटआउट हटने से चुनावी रंग कुछ फीका जरूर पड़ा है, मगर अंदरखाने में तैयारी जोरों पर है. सभी दलों ने बूथ प्रबंधन और उम्मीदवार चयन पर मंथन शुरू कर दिया है. जनता अब उम्मीदवारों की सूची और चुनावी वादों पर निगाह लगाये हुए है. मधेपुरा में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होने के संकेत मिल रहे हैं. हालांकि, प्रशासन के सख्त रुख से साफ है कि आदर्श आचार संहिता के पालन में कोई समझौता नहीं होगा.
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