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मन में अटूट विश्वास हो तो हर परिस्थिति में भगवान भक्तों की करते हैं रक्षा : उदयानंदजी महाराज

यज्ञ में बड़ी संख्या में दूर दराज के लोग पहुंच रहे हैं.

श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का श्रवण कर रहे लोग- -यज्ञ के दौरान रूक्मिणी विवाह प्रसंग पर कथावाचक ने प्रकाश डाला- उदाकिशुनगंज उदाकिशुनगंज नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या पांच डोहटबारी मुहल्ले में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ जारी है. यज्ञ में बड़ी संख्या में दूर दराज के लोग पहुंच रहे हैं. आयोजित भागवत कथा को लेकर आसपास का इलाका पूरी तरह भक्तिमय हो गया है. चारों ओर भक्तिमय गुंजायन सुनाई दे रहा है. यज्ञ में कथा प्रवचन, भजन के साथ साथ मनमोहक झांकियां की प्रस्तुति से लोग भावविभोर हो रहें. यज्ञ से लोगों का मन प्रफुल्लित हो रहा है. यज्ञ के के दौरान संत उदयानंदजी महाराज ने कृष्ण के उपदेश और विचारों से लोगों को अवगत कराया. कृष्ण की महिमा का बखान करते हुए लोगों से परमात्मा से जुड़ने के उपाय बताए. कथावाचक ने अपने प्रवचन में श्रीकृष्ण-रुक्मणी के विवाह की कथा का वर्णन किया. कथा सुनकर पंडाल में मौजूद श्रद्धालु भावविभोर हो उठे. कार्यक्रम के दौरान कलाकारों द्वारा कृष्ण-रुक्मणी विवाह से जुड़ी मनमोहक झांकी प्रस्तुत की गई. जिसे देख पूरा पंडाल श्रीकृष्ण के जयकारे से गुंजायमान हो उठा. भजन गीतों से सुरों में सभी श्रोता झूमने लगे. कथा व्यास ने कहा कि भगवान पर अटूट विश्वास होना चाहिए, यदि अटूट विश्वास है तो भगवान हर स्थिति में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. कथा व्यास उदयानंदजी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के विवाह का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणी के साथ संपन्न हुआ. लेकिन रुक्मणी को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया. इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी हैं और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती हैं. रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो बहुत प्रभावित हुईं और मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया. ररूक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था. इसीलिए श्रीकृष्ण ने हरण कर रुक्मणी से विवाह किया. कथा व्यास के मुख से विवाह का विस्तार वर्णन सुनकर श्रद्धालु गदगद हो उठे. कथा के दौरान संगीतमय भजन गीतों से देर रात तक माहौल भक्तिमय बना रहा. मुझे श्याम का सहारा, भजन सुन सभी झूमने लगे. आरती में भारी भीड़ उमड़ पड़ी. बीच बीच मे जयघोष से वातावरण गुंजायमान होता रहा. मौके पर मनोज बाबा,आयोजक संजय कुमार सिंह, पप्पू गुप्ता, प्रणव सिंह, राजा सिंह, गुड्डू गुप्ता, प्रणव कुमार, शुभम कुमार, आदित्य कुमार, समर विनीत आदि श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे रहे. अंत में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया.

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