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2008 से नहरों में पानी नहीं परेशानी. पीएमओ तक गुहार, अब तक कार्रवाई सिफर

सूखी है नहर. 2008 की बाढ़ के बाद से अपने गांव होकर गुजरने वाली नहर में पानी नहीं छोड़े जाने से परेशान लोगों ने पीएमओ तक गुहार लगायी, लेकिन कार्रवाई सिफर है. आलम यह है कि ऑनलाइन शिकायत दर्ज होने के बाद पीएमओ से जुलाई में ही बिहार सरकार के पशु व मत्स्य संसाधन विभाग […]

सूखी है नहर.

2008 की बाढ़ के बाद से अपने गांव होकर गुजरने वाली नहर में पानी नहीं छोड़े जाने से परेशान लोगों ने पीएमओ तक गुहार लगायी, लेकिन कार्रवाई सिफर है. आलम यह है कि ऑनलाइन शिकायत दर्ज होने के बाद पीएमओ से जुलाई में ही बिहार सरकार के पशु व मत्स्य संसाधन विभाग को मामले में पहल का निर्देश दिया, लेकिन इस निर्देश को निचले स्तर पर पहुंचने में ही चार महीने लग गये. इसके बाद पहल इस पर उलझा रहा कि किस प्रक्षेत्र का मामला है.
मुरलीगंज, मधेपुरा : शिकायतकर्ता रानीपट्टी गांव के सुखासन पंचायत निवासी विद्यार्थी रणवीर ने हर जगह गुहार लगायी. आखिरकार थक हार कर छह जून 2016 को प्रधानमंत्री के शिकायत निवारण सेल में गुहार लगायी. इसमें कहा कि नहर में पानी नहीं आने से जहां खेती में असुविधा हो रही है, वहीं जलस्तर नीचे जाने के कारण मत्स्य पालन भी प्रभावित हो रहा है. कृषि उत्पादन व मत्स्य पालन के लिए पानी की बेहद आवश्यकता है लिहाजा अविलंब नहरों में पानी सुचारु रूप से आये इस संबंध में पहल की जाय. शिकायत दर्ज होने के बाद पीएमओ के शिकायत निवारण सेल ने कार्रवाई के लिए बीस जुलाई 2016 को बिहार सरकार के अंतर्गत संबंधित विभागों को भेजा. वहां से यह निर्देश हिचकोले लेते हुए दिसंबर में मुरलीगंज सिंचाई प्रमंडल पहुंचा.
क्षेत्राधिकार की बात कह टरकाते रहे अधिकारी
मुरलीगंज सिंचाई प्रमंडल द्वारा मामले के निवारण या निष्पादन की जगह यह कह कर टरकाया जाता रहा कि मामला त्रिवेणीगंज प्रमंडल का है. कई दिन बीतने के बाद सिंचाई विभाग के अनुमंडल पदाधिकारी स्थल निरीक्षण करने 19 दिसंबर को गांव पहुंचे. जांच के क्रम में यह पाया कि नहर मुरलीगंज के क्षेत्राधिकार में है. उन्होंने उक्त नहर में पानी नहीं आने की वजह स्वीकार करते हुए कहा कि जिस कंपनी को 2008 के बाद नहरों का फिर से निर्माण व जीर्णोद्धार का कार्य दिया था उसने कोताही बरती. गंगापुर उप वितरणी की शाखा केवट गामा माइनर नहर में पानी बंद है.
अनुमंडल पदाधिकारी सिंचाई विभाग दीपेंद्र कुमार ने बताया कि नहर मरम्मत का काम ग्लोबल निविदा आमंत्रित कर करवाया गया था. पुनः 2012 में यह कुछ जगह टूट गया था. उनके अनुसार जब तक गंगापुर उप वितरणी ठीक नहीं हो जाती, तब तक पानी नहीं छोड़ा जा सकता है. यही कारण 2012 से अब तक पानी नहीं छोड़ा गया है. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि नहर शोभा की वस्तु बन कर रह गया है. 2008 से पहले तो कभी-कभी पानी आता भी था, लेकिन अब बिल्कुल बंद है. एसडीइ दीपेंद्र की मानें तो अगर आगे आने वाले समय में इस नहर की मरम्मत हो जाती है, तो इसमें 2017 के जून-जुलाई तक पानी आ सकता है.

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