दुखद . डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप
Advertisement
बच्चे की मौत, परिजनों का हंगामा
दुखद . डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप सिंहेश्वर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गयी. इस पर आक्रोशित परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए जम कर हंगामा किया. परिजनों का यह भी आरोप है कि उन्हें अस्पताल परिसर से भगा दिया […]
सिंहेश्वर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गयी. इस पर आक्रोशित परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए जम कर हंगामा किया. परिजनों का यह भी आरोप है कि उन्हें अस्पताल परिसर से भगा दिया गया. बाद में स्थानीय लोगों की मदद से उसे पुन: अस्पताल में आने दिया गया.
सिंहेश्वर : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार लगभग 11 बजे जिरवा मधेली वार्ड संख्या 14 निवासी भूपेंद्र राम के पुत्र बबलू राम की मौत हो गयी. घटना को लेकर परिजनों ने डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि सही रूप से उपचार नहीं किया, जिसके कारण बच्चे की मौत हो गयी. वहीं डॉक्टर के खिलाफ हंगामा करने पर उन्हें अस्पताल परिसर से भगा दिया गया. परिजनों ने बताया स्थानीय लोगों की मदद से उसे पुन: अस्पताल लाया गया.
जिरवा मधेली वार्ड संख्या 14 निवासी भूपेंद्र राम ने बताया कि बबलू की तबीयत रविवार रात लगभग दो बजे अचानक खराब हो गयी और लगातार दस्त होने लगी. इसके बाद बबलू को सोमवार की सुबह लगभग 10 बजे सिंहेश्वर पीएचसी लाया गया. जहां बच्चे डॉक्टर के निर्देश पर उसे पानी चढ़ाया जाने लगा. उसी दौरान बच्चे को ठंड लगने लगी व बच्चे का हाथ फुलने लगा. जिसपर परिजनों से अस्पताल के बाहर से दो सुई मंगवाई गयी. सूई लगाने के उपरांत बच्चे को धूप में ले जाने को कहा गया. इसपर परिजन बच्चे को अस्पताल परिसर में ही धूप में लेकर बैठ गये. इस दौरान बच्चे की स्थिति बिगड़ती चली गयी और बच्चे की मौत हो गयी.
बच्चे के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर विभिन्न प्रकार के आरोप लगाये. आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल में बच्चे की सही ढ़ंग से इलाज नहीं किया, सही दवा नहीं दी गयी. जिससे मेरे पुत्र की मौत हो गयी. बच्चे की मां अमिरका देवी का रो-रोकर बुरा हाल है. परिजनों ने कहा कि बार – बार डॉक्टर के पास बच्चे की ज्यादा तबीयत खराब होने की सुचना दी गई. बावजूद इसके डाक्टर अगर स्वयं ओपीडी से उठकर बच्चे को एक बार देख लेते तो मेरा बच्चा आज जिंदा होता. इलाज कर रहे डाक्टर रविंद्र कुमार से जब घटना की जानकारी ली गयी तो उन्होंने कहा कि बच्चा के आते ही इलाज शुरू कर दिया गया था.
बच्चा कोल्ड डायरिया से पीड़ित था व समय ज्यादा होने के कारण बच्चे की स्थिति गंभीर हो गयी थी और उसकी मौत हो गयी. परिजनों ने बताया कि जब बच्चे को धूप में ले जाने को कहा गया तब तक बच्चा ठीक था व सभी से बात कर रहा था बच्चे की मौत होने से पूर्व बच्चे ने पानी पिने को मांगा जिसपर डाक्टर से सलाह लेकर बच्चे को पानी भी दी गई जिसके बाद बच्चे की मौत हुई. वहीं दूसरी तरफ परिजनों ने बताया कि बाद में अस्पताल से उन्हें भगा दिया गया था. आसपास के लोगों के सहयोग से दोबारा अस्पताल पहुंचा था.
डॉक्टर आधा से ज्यादा दवा लिखते हैं बाजार का . अस्पताल में चलने वाली ओपीडी में लिखे जाने वाले दवाई में आधे से ज्यादा दवाई बाजार का ही लिखते है. बबलू की मौत से पूर्व बनाये गये पुर्जे में नौ दवाई लिखी गई थी. लेकिन अस्पताल में मात्र तीन दवाई ही उपलब्ध थी.
गरीब तबके के लोग सरकारी अस्पताल में मुफ्त ईलाज के लिये आते है. लेकिन पूरजे में लिखे दवाई में हमेशा मात्र 2 – 3 दवाई ही अस्पताल में मौजुद होती है. ऐसे में रोगी अस्पताल के बाहर से मंहगे दवाई खरीदने को हमेशा मजबुर होते है.
निजी क्लीनिक चलाने में व्यस्त रहते हैं डाॅक्टर . अस्पताल में कार्यरत डाक्टर ज्यादा समय अपने निजी क्लीनिक पर ही देते है. अस्पताल में मौजुद डाक्टर के लोगों द्वारा इलाज के लिये मरीजों को निजी क्लीनिक कि ओर जाने को कहते है. मजबुर मरीज जब देखते है कि अस्पताल में इलाज सही ढ़ंग से नहीं हो रहा है तो निजी क्लीनिक की ओर जाना उनकी मजबुरी हो जाती है और इससे डाक्टरों की मोटी कमाई भी हो जाती है.
इलाज सही तरीके से किया गया था. उन्हें अस्पताल परिसर से नहीं भगाया गया. परिजनों का आरोप बेबुनियाद है.
रविंद्र कुमार, डॉक्टर, पीएचसी, सिंहेश्वर, मधेपुरा
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement