सफाई का कार्य एनजीओ को सौंपने के विरोध में शहर में निकाला विरोध मार्च
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डीएम ने की थी पहल, लेकिन नहीं माने मजदूर
सफाई का कार्य एनजीओ को सौंपने के विरोध में शहर में निकाला विरोध मार्च मधेपुरा : नगर परिषद क्षेत्र में सफाई का कार्य एनजीओ को सौंपने के विरोध में अस्थायी सफाई कर्मियों ने शनिवार को शहर में विरोध मार्च निकाला. इस दौरान समाहरणालय के समक्ष एनजीओ को कार्य सौंपने एवं स्थायीकरण की मांग को लेकर […]
मधेपुरा : नगर परिषद क्षेत्र में सफाई का कार्य एनजीओ को सौंपने के विरोध में अस्थायी सफाई कर्मियों ने शनिवार को शहर में विरोध मार्च निकाला. इस दौरान समाहरणालय के समक्ष एनजीओ को कार्य सौंपने एवं स्थायीकरण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे अस्थायी सफाई कर्मियों पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया. नप के कार्यपालक पदाधिकारी मनोज कुमार पवन ने कहा उनके स्तर से तीन बार वार्ता की गयी लेकिन मजदूर नहीं माने़
पूरी स्थिति से जिलाधिकारी को अवगत कराया गया़ तत्पश्चात उप विकास आयुक्त के द्वारा नगर परिषद कार्यालय समेत दैनिक मजदूरों के बस्ती पहुंच कर भी वार्ता की गयी, लेकिन उनलोगों के द्वारा कार्य नहीं शुरू किया गया़ स्वयं डीएम मो सोहैल ने अपने कार्यालय वैश्म में सफाई कर्मियों के प्रतिनिधियों से वार्ता कर बताया कि दैनिक मजदूरी पर सीधे नगर परिषद द्वारा रखना, तकनीकी रूप से संभव नहीं है़
उन्होंने आउट सोर्सिंग के माध्यम से कार्य करने को कहा़ मजदूरों की मजदूरी एवं कार्य की शर्त के संबंध में सदर एसडीएम संजय कुमार निराला को प्राधिकृत किया गया़ सदर एसडीएम ने न्यूनतम मजदूरी 206 से बढ़ा कर मजदूरों के हित में अधिक मजदूरी देने की बात कही़ इसके बाद मुख्य पार्षद डा विशाल कुमार बबलू ने पहल कर एनजीओ को एक पाली में कार्य करने वाले को 250 रूपया तथा दो पाली में कार्य करने पर 400 रूपया भुगतान के लिए राजी किया़
लेकिन मजदूर फिर अड़ियल रवैया दिखलाते हुए चले गये़ जब उनसे पूछा गया कि मजदूरी बढ़ाने के संबंध में कुछ कहना है तो वे बोले इससे आगे कुछ नहीं कहना है लेकिन वे आउट सोर्सिंग एजेन्सी के साथ कार्य नहीं करेंगे़
206 रुपये में कार्य करने का यह है कारण : अस्थायी सफाई कर्मी महज 206 रुपये में नप के अधीन दैनिक वेतनभोगी बनकर कार्य करना चाहते हैं, लेकिन वे एनजीओ के साथ कार्य करना नहीं चाहते़ इस बाबत जानकारी बताते हैं कि नप के अधीन केवल हाजिरी बनाकर सफाई के नाम पर खानापूरी होती थी, लेकिन जब एनजीओ ने सख्ती दिखायी तथा हर वार्ड में कूड़ा उठाने तथा घर-घर कचरा उठाने का कार्य शुरू कराने का प्रयास किया तो इन्हें लगा कि नप के अधीन ही कार्य करना बेहतर है़
वार्ड पार्षद एवं सशक्त स्थायी समिति सदस्य ध्यानी यादव कहते हैं कि कुछ मजदूर बरगलाने के भी शिकार है़ं इनके भोलेपन का फायदा उठा कर अपनी नेतागिरी चमकाने वाले लोग दरअसल इन मजदूरो के लिए रोजी रोटी का संकट पैदा कर रहे है़ अभी भी वक्त है 400 रुपया देने के लिए एनजीओ तैयार है़ं अविलंब कार्य शुरू करे़ं अगर उच्च न्यायालय का फैसला आयेगा तो उसके हिसाब से नगर परिषद कार्य करेगी़ आखिरकार वर्षों से लंबित उस केस की आड़ में इस तरह की अनरगल बात करने का क्या अर्थ है़
हालांकि मजदूर इस बात को सिरे से नकारते हुए कहते हैं कि नप के अधीन इसलिए कार्य करना चाहते ताकि भविष्य में उन्हें सरकारी नौकरी मिल जाये
सरकार ने दैनिक मजदूरी को कर रखा प्रतिबंधित : सफाई कार्य नगर विकास विभाग के निर्देश के अनुसार एनजीओ के माध्यम से कराना है. शहर के हर नागरिक तक कचरा संग्रह योजना को बगैर ढांचा गत रूप दिये और एनजीओ को सौंपे संभव नहीं है. कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि बिहार सरकार के पत्र संख्या 04 नसे 01-103/87-1231नविवि समेत अन्य पत्र द्वारा शहरी स्थानीय निकायों को दैनिक मजदूरी पर कार्य पर लगाने से प्रतिबंधित किया गया है.
विरोध मार्च में शामिल अस्थायी सफाई कर्मियों के प्रदेश स्तरीय प्रतिनिधि व अन्य.
दैनिक मजदूरी पर 43.84 लाख व्यय अनियमितता
बिहार सरकार द्वारा नगर परिषद मधेपुरा के वर्ष 2013 – 14 एवं 2014-15 के रोकड़ बही के जांच में दैनिक मजदूरी पर 4384184 रुपया का अनियमित भुगतान पर आपत्ति व्यक्त करते हुए जवाब तलब किया गया. इस मामले में नगर परिषद कार्यालय में उत्तर दिया कि महत्ता को देखते हुए दैनिक मजदूर रखना आवश्यक है.
लेकिन सरकार ने इस उत्तर को अमान्य करते हुए कहा कि बिना सक्षम प्राधिकार के व्यय करना अनियमितता है. साफ सफाई कार्य बाहरी श्रोत से निविदा आमंत्रण कर कराया जाये. इस संबंध में बिहार सरकार के नगर विकास विभाग द्वारा प्रेषित पूर्व के पत्रों का भी हवाला दिया गया है.
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