छह पंचायतों के सहारे चल रहा एकमात्र पशु अस्पताल खुद ‘बीमार’, निजी डॉक्टरों पर निर्भर हो रहे गरीब पशुपालक पीरीबाजार. क्षेत्र के पशु चिकित्सालय की बदहाली ने पशुपालकों की परेशानियां बढ़ा दी हैं. पशु चिकित्सालय होते हुए भी पशुपालकों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है. लंबे समय से तालाब के पास बने जर्जर भवन में अस्पताल का संचालन चल रहा है, जिसकी हालत बेहद खस्ताहाल हो चुकी है. भवन के साथ-साथ चिकित्सक की अनुपस्थिति भी अस्पताल की स्थिति को और बदतर बना रही है. सोमवार को अस्पताल में पदस्थापित चिकित्सक डॉ राजेश कुमार भी उपलब्ध नहीं थे. स्थानीय लोगों का कहना है कि डॉक्टर अक्सर अस्पताल से नदारद रहते हैं, जिसके कारण बीमार पशुओं को समय पर इलाज नहीं मिल पाता. इलाज में देरी से कई पशु गंभीर बीमारियों में दम तोड़ देते हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है. पीरीबाजार के कुल छह पंचायतों के लोग इसी एकमात्र अस्पताल पर निर्भर हैं. अधिकांश किसान अपनी जीविका के लिए पशुपालन पर निर्भर रहते हैं. वे मेहनत से पशुओं को पालते हैं, लेकिन समय पर उपचार न मिलने से उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है. अस्पताल की खराब स्थिति व डॉक्टर की नियमित अनुपस्थिति की वजह से पशुपालकों को मजबूरी में निजी चिकित्सकों के पास जाना पड़ता है. निजी डॉक्टरों की फीस व दवाइयों पर होने वाला खर्च गरीब तबके के लोगों पर भारी पड़ता है, जिससे उनका बजट बिगड़ जाता है. पशुपालन विभाग व अधिकारियों की उदासीनता के कारण अस्पताल बदहाली का शिकार है. सरकार के प्रयासों के बावजूद क्षेत्र में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित दिख रही हैं. मामले पर पूछे जाने पर कार्यरत चिकित्सक डॉ राजेश कुमार ने बताया कि उनकी ड्यूटी चुनाव में लगी थी. वे 31 नवंबर तक प्रखंड में चल रहे वैक्सीनेशन कार्य में व्यस्त रहेंगे. स्थानीय लोगों ने प्रशासन से जल्द कार्रवाई कर अस्पताल की स्थिति सुधारने और नियमित चिकित्सक उपलब्ध कराने की मांग की है.
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