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बेल भरनी को लेकर दिया गया निमंत्रण

बेल भरनी को लेकर दिया निमंत्रण

लखीसराय. जिले में शारदीय नवरात्र को लेकर भक्ति चरम पर है. मंदिरों व घरों में नवरात्र को लेकर मां दुर्गा के सभी स्वरूप की पूजा अर्चना की जा रही है. विद्वान पंडित के मंत्र चारों और गूंज रही है. लोग पूजा अर्चना में लीन हो चुके हैं. दोपहर तक मंदिर एवं घरों में मां के पूजा अर्चना की जा रही है रविवार को नवरात्र के सातवें दिन मां के सातवें स्वरूप की पूजा-अर्चना की गयी. मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने से सभी संकटों से उबर कर हर कामना को पूरा करने वाली मानी गयी है. मां की पूजा-अर्चना करने से विवाह की बाधा दूर होती है. मां के छठे रूप कात्यायनी की पूजा में विशेष रूप से खड़ी हल्दी और पीले पुष्प चढ़कर मां को खुश किया जा सकता है. मां कात्यानी भगवान ब्रह्मा की मानसी पुत्र मानी जाती है. गोपियां कात्यायनी की पूजा पति के रूप में भगवान श्री कृष्ण ने को पाने के लिए किया करती थी. कात्यायनी अमरकोश में पार्वती का दूसरा नाम है. उमा कात्यायनी गौरी काली हेमवती को ईश्वरी इन्हीं का नाम है शक्ति बाद में उन्हें शक्ति या दुर्गा जिसमें भद्रकाली और चंडिका भी शामिल है.

कात्यायनी की पूजा के दिन ही मां का सातवें रूप कालरात्रि बेलभरनी पूजा को बेल को दिया जाता है निमंत्रण

मां के साथ में रूप कालरात्रि के दिन पूजा करने के लिए कात्यायनी की पूजा के दिन बेल को निमंत्रण दिया जाता है. इस दिन मंदिर के पुजारी ढोल बाजे के साथ बेल वृक्ष के पास पहुंचकर लाल कपड़े में कसैली पान एवं सिक्के बांधकर उन्हें निमंत्रण दिया जाता है. दूसरे दिन मां के साथ में स्वरूप का रात्रि की पूजा को करने के लिए बेल को तोड़कर मंदिर लाते हैं एवं बेलभरणी पूजा करते हैं.

सोमवार को मां के साथ में रूप कालरात्रि की होगी पूजा अर्चना

सोमवार को मां के सातवें रूप कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाएगी सुबह में मंदिर एवं घरों में मां दुर्गा का पाठ पूजा किया जाता है. इसके बाद आरती होती है शाम को मंदिर की पुजारी एवं मंदिर समिति के लोग बेल को तोड़ने के लिए ढोल बाजे एवं एक जुलूस के रूप में अलग-अलग मंदिर के समीप बेल वृक्ष से बेल तोड़ने के लिए पहुंचते हैं. इस दिन कई मंदिरों से मां की चुनरी की तरह ही ध्वज बनाया जाता है एवं लाल कपड़े में श्रद्धालु बिल भरने के लिए बेल तोड़ने के लिए पहुंचते हैं. कालरात्रि की पूजा से अकाल मृत्यु नहीं होती है. सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. मां के बाल बिखरे हैं मां की स्वास्थ्य से ज्वाला निकलती है.गले में पड़े माला बिजली की तरह चमकती है मां का गुड़ एवं खीर के भोग लगाने से मन प्रसन्न होती है.——————————————————–शोभा यात्रा के साथ बेलभरनी के लिए बेल पेड़ में दिया निमंत्रण

लखीसराय. शहर के पुरानी बाजार व नयी बाजार में स्थापित किये जाने वाले बड़ी दुर्गा, छोटी दुर्गा सहित भारत माता की प्रतिमा स्थापित करने वाली समितियों के द्वारा रविवार को बेलभरनी को लेकर भव्य शोभा यात्रा निकाली गयी तथा बेल पेड़ पहुंचकर निमंत्रण दिया गया. शहर के पुरानी बाजार अभिमन्यु चौक स्थित स्थापित होने वाले भारत माता प्रतिमा के धार्मिक अनुष्ठान बेलभरनी कार्यक्रम के लिए रविवार को बेल पेड़ में निमंत्रण के लिए धार्मिक शोभायात्रा निकाला गया. पंडित आचार्य हरिशंकर के नेतृत्व में भारत माता के पुरोहित के रूप में महेश कुमार शर्मा के साथ अमिया भारत माता समिति के सभी सदस्य धार्मिक शोभायात्रा में शामिल हुए. अध्यक्ष प्रशांत कुमार राज ने बताया कि भारत माता की प्रतिमा में दुर्गा मंदिर की तरह नवरात्र पूजा नहीं होता है. धार्मिक अनुष्ठान छठी पूजा मां कात्यायनी की आराधना के साथ बेल में निमंत्रण देने के दिन से आरंभ होता है. धार्मिक अनुष्ठान के साथ हम लोग बेल पेड़ में निमंत्रण देते हैं. ऐसी मान्यता है कि माता दुर्गा विसर्जन के बाद बेल पेड़ पर फल के रूप में विराजमान रहती है. छठी दिन पेड़ में लगे जोड़े बेल फल को निमंत्रण दिया जाता है. मौके पर उपाध्यक्ष कन्हैया यादव, सचिव मुरारी यादव, विवेक केसरी, मोनू केसरी, सौरव केशरी, राजकुमार साहनी, राजकुमार मंडल, जितेंद्र कुमार, पिंटू कुमार, धीरज तिवारी, मिथिलेश कुमार, संजीत कुमार, अंकुर कुमार, गोलू कुमार, हरि कुमार, बिनोद रजक, डॉ ओमप्रकाश कुमार एवं सुबोध रजक सहित अन्य लोग मौजूद थे.

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