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काम के लिए भटक रहे श्रमिक

नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ राजेश कुमार गुप्ता लखीसराय : रेलवे स्टेशन हो या हाट बाजार, दुनिया का बोझ अपने कंधे उठानेवाले मजदूर सहज ही दिख जाते हैं. न तन ढकने का कपड़ा और न ही भूख-प्यास की सुधि. बस परिवार के भरण पोषण की चिंता में रात दिन काम की तलाश में इधर […]

नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

राजेश कुमार गुप्ता

लखीसराय : रेलवे स्टेशन हो या हाट बाजार, दुनिया का बोझ अपने कंधे उठानेवाले मजदूर सहज ही दिख जाते हैं. न तन ढकने का कपड़ा और न ही भूख-प्यास की सुधि. बस परिवार के भरण पोषण की चिंता में रात दिन काम की तलाश में इधर उधर भटकता मजदूर तमाम दर्द को अपने अंदर समेटे जिंदगी की गाड़ी को खींचता रहता है.

निर्माण कामगार से जुड़े मजदूर,बीड़ी मजदूर, पत्थर उद्योग से जुड़े मजदूर, खेत मजदूर, रिक्शा- ठेला चालक, मोटिया मजदूर, रेलवे प्लेटफॉर्म पर सामान ढोने वाला कुली, लघु वाहन चालक इत्यादि मजदूरों का कमोबेश एक जैसा ही हाल है. इन्हें सरकार द्वारा चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता. इन मजदूरों की देखरेख एवं निगरानी के लिए सरकार के पास जो विभाग है, उसमें कर्मियों का टोटा लगा है. एक लेबर इंस्पेक्टर को कई प्रखंडों के काम की जिम्मेदारी दी गयी है. इससे कार्य प्रभावित हो रहा है. मजदूरों की समस्या जस की तस बनी हुई है. एटक के जिला सचिव जनार्दन सिंह बताते हैं कि पत्थर उद्योग बंद हो जाने से काफी संख्या में मजदूर बेरोजगार हो गये. लोकसभा चुनाव को लेकर सभी क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूर बेकारी की समस्या से जूझ रहे हैं.

आदर्श आचार संहिता के कारण सरकारी योजनाओं का कार्य बंद है. इससे मजदूर भुखमरी के कगार पर हैं. जिले में लगभग 50 हजार निर्माण कामगार मजदूर, 2500 बीड़ी मजदूर, 5 हजार लघु वाहन चालक एवं रिक्शा-ठेला चालक मजदूर, 1 लाख खेत मजदूर के समक्ष रोजी रोजगार की समस्या है. पहाड़ी इलाके में जंगल से लकड़ी, दातुन, सखुआ पत्ता इत्यादि लाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मजदूर पिछले दिनों जिले में नक्सली आहट के बाद अपने काम पर नहीं जा पा रहे हैं. खेमयू के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद शर्मा के मुताबिक सरकार की लुंज पुंज व्यवस्था से मजदूरों को काम नहीं मिल रहा. वे लगातार पलायन कर रहे हैं.

मनरेगा मजदूरों का बीमा का प्रावधान है. इसका लाभ उन्हें नहीं मिल रहा. इसके तहत मृतक के परिजनों को 35 हजार रुपये की आर्थिक सहायता नहीं मिल रही. निगरानी के अभाव में बाल मजदूरों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. मजदूरों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा का लाभ नहीं मिल पा रहा. खेतिहर मजदूरों की स्थिति बेहद खस्ताहाल है. फसल बुआई,कटाई इत्यादि का काम अब मशीनों से होने लगा जिससे मजदूर बेरोजगार हो गये.

क्या है निर्धारित मजदूरी

सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी तय की गयी है.इसके तहत अकुशल मजदूरों को 176 रुपये प्रति दिन ,अर्धकुशल मजदूर को 184 रुपये प्रति दिन, कुशल मजदूर को 225 रुपये प्रति दिन एवं डिप्लोमा धारी या प्रशिक्षित अति कुशल मजदूर को 273 रुपये की दर से मजदूरी तय की गयी है.लेकिन मजदूरों को मिलने वाली मजदूरी पर गौर करें तो भवन निर्माण से जुड़े राजमिस्त्री एवं लकड़ी के समानों का निर्माण करने वाले कुशल मजदूरों को 350 से 400 रुपये तक मजदूरी दिया जा रहा है. जबकि इनके लिए सरकारी तौर पर 225 रुपये तक मजदूरी का प्रावधान है. अकुशल एवं अर्धकुशल मजदूरों को 100 से 200 रुपये तक मजदूरी का भुगतान हो पा रहा है.

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