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कुपोषण और विटामिन ए की कमी से बच्चों पर खसरे का खतरा बढ़ा

बच्चों में खसरा जैसी संक्रामक बीमारी आज भी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. यह रोग न केवल बच्चों की जान के लिए खतरा है, बल्कि अंधेपन और मस्तिष्क संबंधी गंभीर जटिलताओं का कारण भी बन सकता है.

अंधेपन और मौत तक पहुंचा सकता है संक्रमण, टीकाकरण ही है प्रभावी सुरक्षा कवच

किशनगंज .बच्चों में खसरा जैसी संक्रामक बीमारी आज भी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. यह रोग न केवल बच्चों की जान के लिए खतरा है, बल्कि अंधेपन और मस्तिष्क संबंधी गंभीर जटिलताओं का कारण भी बन सकता है. पोषण की कमी, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता और विटामिन ए की कमी के चलते बच्चे इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ जाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि खसरे से बचाव का सबसे प्रभावी और सुरक्षित उपाय एमएमआर टीकाकरण है, जो बच्चों को जीवनभर सुरक्षा प्रदान करता है.

खसरा: बच्चों के लिए घातक संक्रामक रोग

खसरा को मेडिकल भाषा में मीजल्स कहा जाता है और यह रूबेला वायरस से फैलता है. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि यह रोग हवा के माध्यम से तेजी से फैलता है. जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो वायरस से भरी बूंदें हवा में तैरने लगती हैं और आसपास मौजूद अन्य लोगों को संक्रमित कर देती हैं. इसके लक्षण संक्रमण के लगभग 14 दिन बाद प्रकट होते हैं. बच्चों में बुखार, सूखी खांसी, गले में खराश और आंखों में सूजन के साथ शरीर पर लाल चकत्ते उभर आते हैं. अगर समय पर इलाज न मिले, तो न्यूमोनिया और गंभीर डायरिया जैसी जटिलताएं हो सकती हैं, जो मौत का कारण भी बन जाती हैं.

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