Bihar News: किशनगंज शहर के मारवाड़ी कॉलेज के पास फुलवाड़ी में रहने वाले गरीब मजदूर सनोज महतो का डेढ़ वर्षीय बेटा मंगलवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गया. मारवाड़ी कॉलेज के समीप एक कार ने मासूम को रौंद दिया. हादसे के तुरंत बाद कार चालक और स्थानीय लोगों ने बच्चे को फौरन एमजीएम मेडिकल कॉलेज पहुंचाया. लेकिन, नियति को कुछ और ही मंजूर था. डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया. इस घटना के बाद एक पिता का दिल टूट गया, और उसकी दुनिया उजड़ गई. मृत बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लाया गया. लेकिन यहां जो हुआ, वह इंसानियत को शर्मसार करने वाला था.
दिल को झकझोर देने वाला वीडियो वायरल
सदर अस्पताल प्रशासन इतना असंवेदनशील निकला कि सनोज को अपने बच्चे के शव को ले जाने के लिए एक स्ट्रेचर तक नहीं दिया. मजबूरन, सनोज को अपने मासूम के शव को गोद में लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक जाना पड़ा. यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो वायरल होने के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. सवाल उठ रहे हैं. क्या गरीब की जान इतनी सस्ती है? क्या सदर अस्पताल जैसी सरकारी संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी भूल चुकी हैं? एक स्ट्रेचर तक उपलब्ध न करवाना, क्या यह लापरवाही नहीं, बल्कि अमानवीयता है? इसपर सिविल सर्जन ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है ऐसा हुआ है तो गलत है, आइंदा ऐसी गलती न दोहराई जाएगी ऐसी उम्मीद है. सनोज जैसे गरीब मजदूर, जो दिन-रात मेहनत कर अपने परिवार का पेट पालते हैं, उनके लिए यह हादसा और अस्पताल की कुव्यवस्था दोहरी मार है.
सरकारी तंत्र की उदासीनता
यह कहानी सिर्फ सनोज की नहीं, बल्कि उन लाखों गरीबों की है, जो सरकारी तंत्र की उदासीनता का शिकार होते हैं. यह दृश्य हमें सोचने पर मजबूर करता है. आखिर कब तक गरीब की लाचारी को अनदेखा किया जाएगा? कब तक सरकारी अस्पतालों की कुव्यवस्था मासूमों की जान लेती रहेगी? यह समय है सवाल उठाने का, जवाब मांगने का, और बदलाव लाने का. स्वास्थ्य महकमा अपनी कथित उपलब्धियों को बताने में जरा भी परहेज नहीं करती. लेकिन हकीकत इससे उल्टा है. जिला प्रशासन के निरीक्षण में सब कुछ ठीक मिलता है. क्योंकि सदर अस्पताल को निरीक्षण की सूचना पूर्व में ही मिल जाती है. किशनगंज सदर अस्पताल की कुव्यवस्था ढकी रह जाती है.