किसान परेशान . औने-पौने दाम पर धान बेच रहे हैं किसान
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दिघलबैंक में नहीं खुला धान क्रय केंद्र
किसान परेशान . औने-पौने दाम पर धान बेच रहे हैं किसान दिघलबैंक : प्रखंड में धान क्रय केंद्र नहीं खुलने का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. सरकारी स्तर पर खरीदारी नहीं होने से औने-पौने दाम पर धान बेचना मजबूरी बन गयी है, जिससे दलालों की चांदी कट रही है. किसान शोषण के शिकार […]
दिघलबैंक : प्रखंड में धान क्रय केंद्र नहीं खुलने का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. सरकारी स्तर पर खरीदारी नहीं होने से औने-पौने दाम पर धान बेचना मजबूरी बन गयी है, जिससे दलालों की चांदी कट रही है. किसान शोषण के शिकार हो रहे हैं, सरकार द्वारा 15 नवंबर से धान क्रय केंद्र खोलने का निर्देश दिया जा चुका है. 17 जगहों पर धान क्रय केंद्र के लिए प्रस्तावित किया गया है, जिसमें 14 जगहों का चयन कर लिया गया है. लेकिन अभी भी तीन जगहों का चयन होना बांकी है. 16 पैक्स और एक व्यापार मंडल का चयन किया गया है. बावजूद सिस्टम की लापरवाही की हकीकत यह है कि प्रखंड के 16 पंचायतों के अंतर्गत के किसी भी पैक्सों पर ड्रायर तो दूर सरकारी स्तर पर धान खरीदारी के आसार दूर -दूर तक नजर नहीं आ रही है.
किसानों को जब धान बिक्री करने की जरूरत होती है. उस समय तक सरकारी स्तर पर धान की खरीदारी नहीं हो पाती है. ऐसे में किसानों को दलाल के माध्यम से धान बेचना मजबूरी हो जाती है. जिस कारण किसानों के रकम का तौल कम तो होता ही है. साथ ही औने-पौने दाम में धान बेचना मजबूरी होता है. इस बार सरकार द्वारा धान का समर्थन मूल्य 1550 रुपये निर्धारित की गई है. जबकि पिछले साल 1470 रुपये ही निर्धारित किया गया था. बावजूद निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका था. हैरत की बात तो तब होती है. जब कई पैक्स अध्यक्ष ने विभाग द्वारा अभी तक कोई दिशा -निर्देश नहीं मिलने की बात कह रहे हैं.
घर में पड़ा है पिछले साल का 60 क्विंटल धान
इस साल धान की खरीद अब तक शुरू नहीं हुई. जबकि कई किसानों के पास पिछले साल का धान पड़ा हुआ है. तालगाछ के विश्व मोहन यादव, विनोद मोहन यादव कहते हैं कि हम लोगों के धान की बिक्री नहीं हो रही है. आगे खेती करने में संसाधन के जुगाड़ में परेशानी हो रही है. पिछले साल का भी करीब 60 क्विंटल धान उनके पास पड़ा हुआ है. लौहागाड़ा पैक्स अध्यक्ष प्रतिनिधि शिव नारायण यादव कहते हैं कि पूरे प्रखंड क्षेत्र राजस्व कर्मचारी की कमी है. इस कारण किसानों के जमीन के लगान का रसीद नहीं कट रहा है. जमीन का अद्यतन रसीद नहीं होने से धान की खरीद में परेशानी है. कब के लगान रसीद पर धान की खरीद करनी है, इसको लेकर ऊहापोह की स्थिति है.
लौहागाड़ा पंचायत के तालगाछ कामत टोला निवासी किसान टीका लाल यादव बताते हैं कि क्रय केंन्द्र नहीं खुलने से राइस
मिल संचालकों के हाथ धान बिक्री करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि 50 ¨क्विंटल धान 1250 रुपये के हिसाब से बेचना पड़ा है. यह जानते हुए शोषण करते हैं. सताकौआ पंचायत के दोगिरजा गांव निवासी व पूर्व सरपंच फरीद उद्दीन बताते है कि क्रय केंद्रों पर भी किसानों को सरकारी घोषणा के अनुरूप किसानों को कोई सुबिधा नहीं मिलती है. समय से धान अधिप्राप्ति की व्यवस्था नहीं होने से आवश्यकता को लेकर औने पौने दाम में बेचना मजबूरी होती है. लक्षमीपुर पंचायत के किसान अखिलेसुर बताते हैं कि सरकारी स्तर पर धान बेचने की प्रक्रिया इतना जटिल है कि किसान उसमे पड़ने से बेहतर औने पौने दामों में अपना धान बेचकर ससमय अपना काम कर लेना बेहतर समझते हैं. तुलसिया पंचायत के किसान विवेकानंद ठाकुर बताते हैं कि ससमय क्रय केंद्र नही खुलने से हर साल दलालों के हाथ धान बेचना मजबूरी बन गई है. दिघलबैंक के किसान व पूर्व प्रमुख नादिर आलम, राम बाबू, अलाउद्दीन आदि कहते है कि सरकार किसानों के साथ हमेशा छलावा करती है. क्रय केंद्र को लेकर की गई व्यवस्था हर साल कागज तक ही सिमट कर रह जाती है.
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