खगड़िया. शनिवार को चांद देखने के साथ ही रमजान का पाक महीना शुरू हो गया. पहला रोजा रविवार को रखा जायेगा. सेहरी रविवार की सुबह 4:50 तक खा सकते हैं. रमजान 30 दिनों तक होगा. मुसलमान भाइयों के सबसे पवित्र व लंबे समय तक चलने वाले महापर्व के लिए दुकानदारों ने अपने अपने तरीके से तैयार की है. रहमतों और बरकतों का ये महीना अच्छे कामों का सबब देने वाला कहा जाता है. इसी वजह से इस माह को नेकियों का माह भी माना जाता है. रमजान को लेकर शहर के राजेंद्र चौक, थाना रोड, स्टेशन रोड आदि जगहों पर दुकानदारों ने सेवईयां व खजूर की दुकान सजाने लगे हैं. इधर, स्थानीय लोगों द्वारा मस्जिद की साफ-सफाई के साथ घरों का साज सजावट की गयी है. रमजान को लेकर बच्चे, युवा,युवती, महिलाएं व बुजुर्ग में काफी उत्साह है. अलौली प्रखंड के सहसी पंचायत स्थित मरकजी खानकाह फरीदिया जोगिया शरीफ से चांद दिखाई देने के बाद रमजान की पहली तराबी की नमाज अदा कर अमन-चैन की दुआ मांगी गयी. जोगिया जामा मस्जिद के इमाम हजरत मौलाना साईदेन फरीदी ने बताया कि इस्लामिक कैलेंडर में चांद की तारीख के अनुसार रमजान रविवार से शुरू हो रहा है. पूरे एक महीने तक लोग अहले सुबह उठकर सेहरी का नमाज अदा करने के बाद रोजा रखते हैं. शाम को इफ्तारी के साथ रोजा समाप्त किया जाता है. बताया कि पूरे रमजान में चार जुमे होंगे. पहला जुमा सात मार्च को होगा. दूसरा जुमा 14 मार्च, तीसरा रोजा 21 मार्च और चौथा यानी रमजान का अंतिम जुमा 28 मार्च को अलविदा का जुमा होगा. इस रमजान में 30 रोजे रखे जाएंगे. वहीं ईद-उल-फित्र एक अप्रैल को मनाई जाएगी.
गुनाहों, द्वेष भावना, गलत काम के लिए अल्लाह से मांगना चाहिए माफी
मरकजी खानकाह फरिदिया जोगिया शरीफ के मौलाना बाबू सिबतैन फरीदी ने कहा कि रमजान का मतलब जल जाना है. जिससे हमारे पास मौका होता है कि अपने गुनाहों को जला देने का. लोगों के अंदर अगर किसी के भी प्रति द्वेष भावना है तो उसे खत्म करना होगा. अगर किसी के प्रति गलत काम किया है तो उससे माफी मांगनी चाहिए. इन सबके बदले अल्लाह अपने बंदों के पुण्य में बढ़ोतरी करता है.रमजान में इबादत करने से 70 गुना ज्यादा मिलता है सवाब
बताया कि रमजान बरकत का महीना है. इस महीने जो फर्ज इबादत हैं, उनके करने पर 70 गुना ज्यादा सवाब (पुण्य) मिलता है और जो नफील इबादत हैं, उन्हें करने पर फर्ज इबादत के बराबर सवाब मिलता है. यह महीना सब्र का भी महीना है. चांद रात यानी जिस दिन ईद का चांद निकल आता है और रोजे खत्म हो जाते हैं, उस रात इबादत का विशेष महत्व होता है. उस रात अल्लाह अपने बंदों को रोजे रखने और तमाम इबादत का इनाम देता है. इसलिए इस रात अल्लाह के सामने ज्यादा से ज्यादा मांगना चाहिए.B
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