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शारदीय नवरात्रि आज, सज गए मां का दरबार दस दिनों तक बहेगी भक्ति की बयार

प्रथम दिन शैलपुत्री की पूजा, कलश स्थापना का उत्तम अमृत योग सुबह 8:30 से 10:22 बजे तक

प्रथम दिन शैलपुत्री की पूजा, कलश स्थापना का उत्तम अमृत योग सुबह 8:30 से 10:22 बजे तक

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अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक

खगड़िया. शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर यानि आज से प्रारंभ होगी गयी. दो अक्टूबर को विजयादशमी है. मां दुर्गा सपरिवार हाथी पर सवार होकर आ रही है. नरवाहन पर सवार होकर लौट रही हैं. आगमन एवं प्रस्थान दोनों सुख शांति एवं समृद्धि का प्रतीक है. आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना को लेकर घर-घर में तैयारी पूरी हो गयी है. मां का दरबार सज चूका है. सभी दुर्गा मंदिर में रंग-रोगन किया जा चुका है. साथ ही मंदिर की सजावट भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करनेवाला है. पंडित कौशलेन्द्र झा, अजय कांत ठाकुर ने बताया कि विश्वविद्यालय पंचांग के मुताबिक कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त एवं हस्त नक्षत्र में किया जाना अति उत्तम होता है. कलश स्थापना का उत्तम अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक है. जबकि अमृत योग सुबह 8:30 से 10:22 के बीच है. पंडित बताते हैं कि कलश सुख समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी का प्रतीक माना जाता है. कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रूद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है. घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है. शारदीय नवरात्रा घर-घर में लोग मनाते हैं. मां दुर्गा के कई भक्त अपने घरों में कलश स्थापित कर शारदीय नवरात्रा पूजा विधि विधान तरीके से करते है. जिले के सभी दुर्गा मंदिरों में शारदीय नवरात्रा को लेकर अभी से चहल-पहल काफी तेज हो गया है. यह चहल-पहल लगातार बढ़ता ही जाएगा और सष्तमी और अष्टमी से मां दुर्गा का दरबार भक्तों से खचाखच भरा रहेगा. मंदिरों को आकर्षक रोशनी से चकाचौंध करने के लिए स्थानीय लोग लगे हुए है. सोमवार को कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा करेंगे.

कुल्हड़िया में निकलेगी कलश यात्री

शारदीय नवरात्रि को लेकर सार्वजनिक दुर्गा मंदिर कुल्हडिया में सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. आज गाजेृ-बाजे के साथ कलश शोभा यात्रा निकाली जाएगी. कलश शोभा यात्रा गांव भ्रमण के पश्चात मंदिर में पहुंचेंगे. जहां नवगछिया से पहुंचे पंडित आचार्य कौशलेन्द्र झा द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कलश स्थापित किया जाएगा. इसके बाद लगातार 10 दिनों तक दुर्गा सप्तशती पाठ से इलाका गुंजायमान होगा.

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