गोगरी. गोगरी प्रखंड के आधे दर्जन पंचायत क्षेत्र में गंगा का अब रौद्ररुप दिखाने लगा है. गंगा ने जीएन बांध के अंदर बसे लोगों को जल प्रलय की अपनी क्रूर लीला दिखा रही है. जिन सड़कों पर एक सप्ताह पूर्व गाड़ियां चलती थी. आज उन सड़कों पर नाव चल रही है. गोगरी के बन्नी, बौरना, इमादपुर, भुड़ीया दियारा, कटघरा दियारा सहित अन्य दियारा क्षेत्र के गांव बाढ़ के पानी में टापू में तब्दील हो गया है. हर तरफ पानी ही पानी देखने को मिल रहा है. इस बार पानी के बीच दियारा क्षेत्र के लोगों की व्यथा ना तो स्थानीय प्रशासन देखने पहुंच रही है. और ना ही जनप्रतिनिधि ही बाढ़ पीड़ितों की सुधि लेने पहुंच रहे हैं. व्याकुल बाढ़ पीड़ित किसी तरह बाढ़ के पानी के बीच रहने को विवश हैं. जिनके घर डूब गये वे पड़ोसियों के घर में शरण लिये हुये हैं. बाढ़ पीड़ितों के द्वारा अब सूखा राशन व कम्युनिटी किचन चलाने की भी मांग की जाने लगी है. स्थानीय जनप्रतिनिधि ने स्थानीय प्रशासन से बाढ़ पीड़ितों के लिए गांवों में सूखा राशन के साथ कम्युनिटी किचन चलाने की मांग की है. बाढ़ की भयावहता को देखते हुए अब लोग गांवों से पलायन भी कर रहे हैं. दर्जनों पशुपालक किसान अपने पशुओं के साथ पलायन कर चुके हैं. आलम यह है कि दियारा क्षेत्र से आने वाली सभी नाव भरी हुई आती है. जो खतरे से खाली नहीं है. इस पर स्थानीय प्रशासन को सजग रहने की जरूरत है. नहीं तो कभी भी बड़ी घटना से नकारा नहीं जा सकता है. इन दिनों दियारा क्षेत्र की हजारों से अधिक की आबादी पर बाढ़ का संकट आफत बनकर आयी हुई है. बांध पर शरण लिये दर्जनों पशुपालकों को नहीं मिल रही सुविधा गोगरी के जीएन बांध पर शरण लिये हुये दर्जनों पशुपालकों को किसी भी तरह की सरकारी सुविधा नहीं मिल पा रही है. पशुपालक किसी तरह सूखा अनाज खाकर समय बीता रहे हैं. जबकि उन्हें पीने के लिए भी शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पा रही है. बारिश होने के कारण लोगों को सर छुपाने के लिए पानी की भी व्यवस्था नहीं होने से बारिश में ही रहने को मजबूर हैं, जबकि रोशनी की भी व्यवस्था नहीं होने से पशुपालक किसान अंधेरे में रहने को विवश है.
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